स्वास्थ्य : पुराने समय में चाहे गांव हो या शहर लोग फर्श पर बैठकर खाना खाते थे। जमीन पर बैठकर भोजन ग्रहण करना धर्मिक तौर पर भी काफी शुभ माना गया है। लेकिन, आजकल बदलते दौर के साथ लोगों के खान पान के तरीकों, रहन सहन और पहनावों में काफी बदलाव आ गया है।आजकल डाइनिंग टेबल, कुर्सियां और सोफों के आने के बाद ज्यादा लोग फर्श बैठकर भोजन करना पसंद नहीं करते हैं। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि जमीन पर बैठकर खाना खाने से कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं। जमीन पर बैठकर खाना खाने के कई फायदे हैं। आयुर्वेद के मुताबिक, भोजन करते वक्त फर्श पर बैठने का मतलब है कि आप सुखासन पर यानी क्रास लेग्ड स्थिति में बैठें हैं। दरअसल जब हम जमीन पर बैठकर खाना खाते है तो इससे पाचन क्रिया को तेज करने में मदद मिलती है।
पाचन के लिए अच्छा :
बैठकर खाना खाने से पाचन बेहतर होता है. इसका मतलब है कि जब हम बैठते हैं तो रीढ़ की हड्डी स्थिर होती है। इससे पाचन अंगों पर दबाव कम हो जाता है। इससे खाना पचने में आसानी होती है। साथ ही विशेषज्ञों का कहना है कि इससे अपच और गैस जैसी पाचन संबंधी समस्याएं भी कम हो जाएंगी। अध्ययन के अनुसार, शोधकर्ताओं ने पाया कि फर्श पर बैठकर खाना खाने से पाचन में सुधार होता है।
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आप अपना वजन कम कर सकते हैं :
विशेषज्ञों का कहना है कि डाइनिंग टेबल पर बैठकर खाना खाने से वजन बढ़ सकता है। वहीं इसके विपरीत, ऐसा कहा जाता है कि जमीन पर बैठकर खाने से दिमाग को संकेत मिलता है कि पेट भर गया है और कम खाओ। इस वजह से हम कम खाना खाते हैं, और हमारा वजन भी नियंत्रण में रहता है।
ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है :
फर्श पर बैठकर खाना खाने से पैरों में ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे पैर दर्द और पीठ दर्द कम होता है।
तनाव कम करता है :
जमीन पर बैठकर खाना खाने से तनाव और चिंता कम होती है। यह सुखासन आपको वह मानसिक शांति देता है जो आपको ध्यान और योग करने पर मिलती है। जब हम फर्श पर बैठते हैं तो अपनी रीढ़ की हड्डी सीधी रखते हैं। और गहरी सांस लेते हैं। इससे तनाव कम होता है।
जमीन पर बैठकर भोजन का शास्त्रों से संबंध :
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शास्त्रों की मानें तो जब आप सीधे फर्श पर बैठकर भोजन करते हैं, तो शरीर सीधे ही पृथ्वी के संपर्क में आता है और पृथ्वी की तरंगें पैरों की उंगलियों से होकर पूरे शरीर में फ़ैल जाती हैं। ये तरंगें शरीर को सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करने के अलावा शरीर के स्वास्थ्य को भी सुचारु बनाए रखने में मदद करती हैं। इसी तरह जब हम जमीन पर बैठकर लकड़ी के आसन में खाना खाते हैं तो सूक्ष्म अनुपात में तेजतत्व प्रधान तरंगों की गति होती है। इन तरंगों की गति से गर्म ऊर्जा उत्पन्न होती है। यह शक्ति पृथ्वी से निकलकर शरीर में प्रवेश करती है और शरीर को भी ऊर्जावान बनाने में मदद करती है। शास्त्रों की मानें तो शरीर को ऊर्जा प्रदान करने वाली ये तरंगें कई तरह की ऊर्जाओं को जोड़कर शरीर में एक साथ प्रवेश करती हैं और कई बीमारियों से बचाती हैं। एक अन्य मान्यता के अनुसार जब व्यक्ति जमीन पर बैठकर भोजन करता है तो वह सुखासन में बैठता है और इस मुद्रा में बैठकर भोजन करने से पाचन क्षमता बढ़ती है। यही नहीं पीठ का निचला हिस्सा तथा पेट के आसपास की मांसपेशियों में भी खिंचाव आता है और पेट संबंधी बीमारियों से राहत मिलती है।