मांग नहीं होने के बाद भी सीमेंट के दामों में होगी बढ़ोत्तरी, सामने आई ये जानकारी….।

रायपुर : आमतौर पर मध्यमवर्गीय परिवार जीवन में एक बार मकान बनाता है, जिसके लिये जीवन भर पूंजी एकत्रित करनी होती है और मकान बनाते – बनाते निर्माण सामग्री के दाम बढ़ जायें तो बड़ी मुसीबत खड़ी हो जाती है। वहीँ अब जब मानसून के कारण सरकारी, निजी, रीयल एस्टेट सबके काम बंद पड़े हैं और सावन में पूरे माहभर बारिश भी हुई है। अब भी बारिश लगातार हो ही रही है। ऐसे में कहीं से कोई मांग नहीं है। इसके बाद भी सीमेंट की कीमत बढ़ाने की तैयारी चल रही है। बीते एक सप्ताह से कीमत 20 रुपए बढ़ाने की बात हो रही है, लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा है। एक बार फिर से सोमवार से कीमत में बढ़ोत्तरी करने की बात हो रही है। बिल्डिंग मटेरियल का कारोबार करने वालों का कहना है, कहीं से कोई मांग ही नहीं है, तो कीमत बढ़ा भी देंगे तो माल खरीदेगा कौन। बाज़ार इस समय बहुत ही ठंडा है। बिक्री काफी कम हो रही है।

मानसून में हमेशा से यही होता आया है, सीमेंट की डिमांड न होने के बाद भी कंपनी अपना कोटा पूरा करने के लिए कीमत बढ़ाने का हल्ला मचाकर अपना माल बेच लेती है। माल बिकने के बाद वापस कीमत कम कर दी जाती है। इस बार भी ऐसा ही हो रहा है। लेकिन इस बार अब तक कीमत नहीं बढ़ पाई है। इसके पीछे का कारण यह है कि इस बार बारिश बहुत ज्यादा हो रही है और प्रदेश के साथ दूसरे राज्यों में भी माल जा ही नहीं रहा है। आने वाले समय में बारिश थमने के बाद डिमांड की संभावना को देखते हुए कंपनियां कीमत बढ़ाने की तैयारी में हैं। यदि कंपनी कीमत बढ़ाती भी है और बाद में कम करती है तो इससे व्यापारियों के लिये मुसीबत खड़ी हो जाती है।

दाम अभी 300 से कम है :

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इस समय बाज़ार में सभी सीमेंट की कीमत 300 रुपए से कम है। ब्रांडेड कंपनी का सीमेंट 275 से 280 रुपए है। इसी के साथ लोकल सीमेंट की कीमत 250 से 260 रुपए है। इसकी कीमत बीते साल चिल्हर में 370 रुपए तक चली गई थी। इस बार भी कीमत को बीते साल की तरह ही आसमान पर ले जाने की तैयारी की गई, लेकिन अभी इसमें सफलता नहीं मिल पाई है। सोमवार की रात को कहा गया था, मंगलवार से कीमत 20 रुपए बढ़ा देंगे, लेकिन डिमांड न होने से कीमत नहीं बढ़ पाई। एक बार फिर से कहा जा रहा है कि सोमवार से कीमत में इजाफा होगा। ऐसा होने से कई डीलर माल उठाकर स्टॉक कर लेते हैं और कंपनियों का माह भर का अपना कोटा पूरा हो जाता है। इसके बाद माल ना बिकने पर व्यापारियों के पास जाम हो जाता है तो इधर कम्पनियाँ फिर से दाम गिरा देती है।