दुर्ग/भिलाई : छत्तीसगढ़ के भिलाई में मासूम से यौन उत्पीड़न के मामले में पुलिस ने 2 महीने बाद FIR दर्ज किया है, यह घटना दो माह पूर्व की है, जिसमें घटना को लेकर काफी बवाल हुआ था। अब इस मामले में महिला थाना में (PROTECTION OF CHILDREN FROM SEXUAL OFFENCES) पॉक्सो एक्ट की धारा 8 के तहत केस दर्ज हुआ है। वहीं FIR करने पर नाराजगी जताई गई है। निजी स्कूल में मासूम बच्ची के साथ यौन उत्पीड़न की घटना 5 जुलाई को सामने आई थी, जिसके बाद अन्य स्कूली बच्चों के परिजनों ने काफी हंगामा मचाया था।
मामले में डीपीएस स्कूल रिसाली में अबोध बच्ची के साथ कथित यौन उत्पीड़न का मामला एक बार फिर चर्चा में है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस कथित घटना को लेकर पुलिस पर सवाल खड़े किए हैं। इस कथित घटना को लेकर लोग अब फिर तर्क वितर्क कर रहे हैं। कुछ लोगों का कहना है कि घटना को दबा दिया गया है, तो वहीं कुछ लोगों का कहना है कि स्कूल को बदनाम करने के लिए भी कुछ लोग हथकंडा अपना सकते हैं। बहरहाल जांच पड़ताल में जो बात सामने आई हैं उसके मुताबिक बच्ची की मेडिकल जांच ही नहीं हुई है। बच्ची को सामान्य बुखार था और उसी का इलाज किया गया है।
यह पूरा मामला भिलाई के नेवई थाना क्षेत्र का है। यहाँ के डीपीएस स्कूल रिसाली में मासूम बच्ची के साथ यौन उत्पीड़न की घटना 5 जुलाई को सामने आई थी। इस बीच घटना से नाराज दूसरे बच्चों के परिजनों ने स्कूल प्रबंधन का घेराव किया था। वहीं परिजनों का कहना है कि, बच्ची के साथ ऐसा कुछ नहीं हुआ है। वहीं 2 महीने बाद पुलिस ने इस मामले में पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज किया है।
2 महीने बाद FIR दर्ज :
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मामला सामने आने के बाद स्कूल प्रबंधन ने घटना के दिन ड्यूटी पर रही एक महिला स्टाफ को छुट्टी पर भेज दिया था। इसी बीच घटना से नाराज दूसरे बच्चों के परिजनों ने स्कूल प्रबंधन का घेराव किया। इस बीच पूर्व सीएम भूपेश बघेल और कांग्रेस नेताओं ने घटना को मुद्दा बनाया था। इसके बाद दुर्ग पुलिस ने अब इस मामले में एफआईआर दर्ज की है। वहीं परिजनों का कहना है कि, बच्ची के साथ ऐसा कुछ नहीं हुआ है। इससे लोग हैरान हुये है, जबकि बच्ची के इलाज के बाद डॉक्टर ने कहा कि परिजनों ने जांच की रिपोर्ट ही नहीं दिखाई है।
परिजनों ने घटना होने से किया इंकार :
इस मामले को लेकर FIR दर्ज करने के बाद परिजनों ने इस पर नाराजगी जताई थी। पुलिस ने FIR दर्ज करने के लिए बच्ची के परिजनों के आवेदन को आधार बनाया है, जो उन्होंने बच्ची का टीसी निकलवाने के लिए स्कूल प्रबंधन को दिया था, वहीँ टीसी के हिसाब से सोचा जाये तो घटना हुई है। वहीँ इस मामले में मिली जानकारी के अनुसार पुलिस ने FIR तो दर्ज कर लिया है। जिसके बाद परिजनों को महिला थाने बयान दर्ज कराने के लिए बुलाया गया था। लेकिन परिजनों ने अपने बयान में बच्ची के साथ किसी भी प्रकार के गलत व्यवहार सेइंकार कर दिया है। जिससे आगे की कार्यवाही को लेकर पुलिस के सामने मुश्किल खड़ी हो गई है।
बच्ची का इलाज पहले शिशु रोग विशेषज्ञ ने किया था :
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जिस निजी अस्पताल में बच्ची का इलाज कराने के लिए परिजन लेकर गए थे, वहां के ग्यानोकोलॉजिस्ट डॉक्टर ने बताया कि बच्ची के साथ इस तरह की घटना के बारे में हमें कोई जानकारी नहीं है। इलाज कराने के 20 दिन बाद जब 2 अगस्त को स्कूल में हंगामा हुआ, तब हम भी हैरान रह गए। डॉक्टर का कहना है कि 5 जुलाई को शाम करीब 4.30 बजे बच्ची की दादी और मां बच्ची को इलाज के लिए अस्पताल लाए थे। तब उसे 102 डिग्री बुखार था।
बच्ची कंपकंपा रही थी। बच्ची का इलाज पहले शिशु रोग विशेषज्ञ ने किया। बच्ची की मां ने उसे बच्ची के प्राइवेट पार्ट में खुजली की जानकारी दी, तब शिशु रोग विशेषज्ञ ने बच्ची को उनके पास भेजा। डॉक्टर ने बताया कि उसने जांच की। उसके प्राइवेट पार्ट में ल्यूकोरिया जैसे लक्षण दिखे थे। मामले को लेकर संदेह हुआ था, लेकिन जांच आने तक कुछ कहना मुश्किल था, तब दवाई देकर बच्ची के पालकों को ब्लड जांच और सोनोग्राफी जांच करवा कर रिपोर्ट दिखाने के लिए कहा गया, लेकिन वे लोग दोबारा नहीं आए। सोनोग्राफी करवाए या नहीं इसकी जानकारी नहीं है। क्योंकि रिपोर्ट दिखाने आए ही नहीं। बच्ची के बारे में कोई अन्य जानकारी भी नहीं दी। वहीँ परिजनों के इस व्यवहार को लेकर लोग संदेह जाता रहे है।



