शिमला (हिमाचल प्रदेश) : जहाँ कांग्रेस और भाजपा की विचारधारा एक दूसरे की विरोधी है, वहीं अब कांग्रेस की हिमाचल सरकार लगातार भाजपा की विचारधारा से सम्बद्ध काम करने में लगा हुई है। मामले में सामने आया है कि उत्तर प्रदेश में पिछले महीने नेमप्लेट को लेकर शुरू हुआ विवाद अभी थमा नहीं है। तो वहीँ अब योगी आदित्यनाथ सरकार की राह पर चलते हुए हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने भी अहम फैसला लिया है। अब हिमाचल प्रदेश में भी रेहड़ी-पटरी वालों और होटल मालिकों को अपनी दुकानों के आगे नेमप्लेट लगानी होगी, हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद उत्तर प्रदेश में नेमप्लेट लगाने पर बैन लगा दिया गया था। अब कांग्रेस सरकार के इस फैसले को लेकर क्या राजनीति होगी, यह देखना दिलचस्प होगा।
अब सभी दुकानदारों को लगाना होगा नेमप्लेट :
अब इस मामले में हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार ई स्ट्रीट वेंडर पॉलिसी लाने की तैयारी कर रही है, जिसमें सभी रेहड़ी-पटरी वालों और होटल मालिकों को अपनी दुकानों के आगे नेमप्लेट लगानी होगी, इसके अलावा रेहड़ी-पटरी वालों को अपना पहचान पत्र भी रखना होगा। तो वहीं होटल मालिकों को अपने कर्मचारियों की जानकारी और पहचान पत्र भी रखना होगा, जो कि सार्वजनिक रूप से दिखाना होगा। हिमाचल की कांग्रेस सरकार ने यह निर्णय क्यूँ लिया है, अब तक यह साफ़ नहीं हो पाया है।
इस मामले पर हिमाचल प्रदेश के शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने राज्य में नई पॉलिसी के बनाने पर कहा, “हमने शहरी विकास विभाग और नगर निगम के साथ एक अहम बैठक की। स्वच्छ खाद्य पदार्थ की बिक्री सुनिश्चित करने के लिए सभी स्ट्रीट वेंडर के लिए फैसला लिया गया है। खासकर खाद्य पदार्थ बेचने वालों के लिए।”
उन्होंने कहा, “आम लोगों ने इस संबंध में अपनी चिंता और शंकाएं व्यक्त की थीं और इसी के मद्देनजर हमने उत्तर प्रदेश की तरह एक समान नीति लागू करने का फैसला किया है, जिसमें यह जरूरी कर दिया गया है कि विक्रेताओं को अपना नाम और पहचान पत्र दिखाना होगा। अब हर दुकानदार और रेहड़ी-पटरी वाले को अपना पहचान पत्र दिखाना होगा।” हालांकि योगी मॉडल का विरोध करने वाले इसे क्यूँ अपना रहे है? ये बड़ा सवाल है।
योगी से प्रभावित हुए कांग्रेसी मंत्री :
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इससे पहले हिमाचल प्रदेश की सरकार विक्रमादित्य सिंह ने सोशल मीडिया पर सीएम योगी की फोटो के साथ एक खबर पोस्ट की थी, जिसमें उन्होंने रेहड़ी-पटरी और फास्ट फूड और ढाबों के मालिकों की आईडी और नेमप्लेट लगाने की जरूरत बताई थी, ताकि किसी को कोई परेशानी न हो। हालाँकि उनके इस फरमान पर अभी तक किसी की कोई खास प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन कांग्रेस का मुस्लिम वोट बैंक जरुर असमंजस में होगा।
मोहब्बत की दुकान में बेची जाती है नफरत :
इस मामले को लेकर राजनीतिक जानकार अख्तर अली कहते हैं कि कांग्रेस की मोहब्बत की दुकान में सिर्फ नफरत परोसी जा रही है। हाल ही में संजौली मस्जिद को लेकर कांग्रेस का जिस तरह का रवैया देखने को मिला है, उससे साफ पता चलता है कि कांग्रेस सिर्फ चुनाव के दौरान ही मोहब्बत की दुकान चलाती है। चुनाव खत्म होते ही मोहब्बत की दुकान में नफरत बेची जाती है। क्या उनका यह बयान यह जता रहा है कि कांग्रेस की हिमाचल सरकार भाजपा की राह चलने लगी है।
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