हरियाणा एवम् जम्मू कश्मीर को लेकर तस्वीर साफ़, सामने आये ये तथ्य, अब ये बनेंगे मुख्यमंत्री….।

नई दिल्ली : 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में यह पहला चुनाव है, वहीँ भाजपा ने हरियाणा में लगातार तीसरी बार जीत की हैट्रिक लगाकर इतिहास रच दिया है। हरियाणा में 57 सालों के बाद राज्य में पहली बार किसी पार्टी को लगातार तीसरी बार जीत मिली है। भाजपा ने 2014 में हरियाणा में 47 तो 2019 में 40 सीटों पर जीत दर्ज की थी। जबकि इस बार पार्टी ने 48 सीटों पर जीत हासिल की है। हरियाणा में सबसे ज्यादा नुकसान जेजेपी को हुआ है, क्योंकि पार्टी इस बार अपना खाता भी नहीं खोल पाई है। इस बार हरियाणा में भाजपा की जीत को लेकर संदेह था।

कौन बनेगा सीएम? दोनों राज्यों में साफ :

हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में भले ही अलग-अलग दलों की सरकार बनने जा रही, लेकिन दोनों राज्यों में मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर कोई दुविधा नहीं है। हरियाणा में भाजपा को मिली इस ऐतिहासिक जीत के बाद कार्यवाहक मुख्यमंत्री नायाब सिंह सैनी का जहां फिर से मुख्यमंत्री बनना तय है, लेकिन शायद फिर भी फेरबदल हो जाये, वहीं जम्मू- कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला का मुख्यमंत्री बनना पूरे तरीके से तय है। 

कांग्रेस हरियाणा में क्यों हारी? :

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हरियाणा में जहां कांग्रेस सत्ता में वापसी को लेकर उत्साहित थी नतीजों से उसकी उम्मीदों पर पानी फिर गया। कांग्रेस पार्टी अपनी हार को स्वीकार नहीं कर पा रही है और वह ईवीएम पर दोष लगा रही है। कांग्रेस की इस हार के पीछे उनकी अंदरूनी खींचतान और अतिआत्मविश्वास को बड़ी वजह माना जा रहा है। हरियाणा में मुख्यमंत्री पद के लिए पार्टी के बडे़ नेताओं के बीच खींचतान देखने को मिल रही थी। इसको भी पार्टी की हार के पीछे एक बड़ा कारण माना जा रहा है। लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि कांग्रेस राज्य में पहले के मुकाबले अधिक मजबूत हुई है। वहीँ देशभर में कांग्रेस की लोकप्रियता खत्म होती जा रही है।

J-K की केंद्र पर रहेगी निर्भरता :

जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन सरकार बना रहा है। यहां कांग्रेस केवल 6 सीटों पर ही जीत दर्ज कर पाई है। जम्मू-कश्मीर में आने वाली सरकार को राज्य के विकास के लिए केंद्र के साथ तालमेल रख कर ही आगे बढ़ना होगा। केंद्र शासित प्रदेश होने के चलते उनकी पूरी निर्भरता केंद्र पर ही रहेगी।

हरियाणा में BJP- कांग्रेस के बीच रहा कड़ा मुकाबला :

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हरियाणा में भाजपा ने जीत की हैट्रिक लगाई है, लेकिन वोट प्रतिशत में कांग्रेस और उसके बीच मुकाबला काफी कड़ा देखने के लिए मिला है। अंतिम परिणामों में भाजपा को हरियाणा में जहां 39.90 प्रतिशत और कांग्रेस को 39.10 प्रतिशत वोट मिले। वोटों के लिहाज से दोनों के बीच यह हिस्सेदारी भले मामूली रही, लेकिन सीटों में दोनों के बीच बड़ा अंतर था। भाजपा ने पहले से अधिक मजबूती से वापसी की है।

NC को सबसे अधिक सीटें, PDP को सबसे ज्यादा नुकसान :

जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव में 48 सीटें एनसी गठबंधन को मिलीं। वहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस को 42 सीटें अकेले मिलीं। यहां सबसे ज्यादा नुकसान महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी को हुआ। उसे केवल 3 सीटें ही मिलीं। एनसी को वोट 23.47% वोट मिले तो वहीं भाजपा को 25.60% वोट मिले। इसी के साथ यहां बीजेपी मजबूत होती दिखी। कांग्रेस को राज्य में करीब 12 प्रतिशत व पीडीपी को करीब 9 प्रतिशत वोट मिले हैं। जम्मू – कश्मीर में कुछ लोगों को भाजपा की सरकार बनने की उम्मीद भी थी, जो कि पूरी नहीं हुई।

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