नई दिल्ली : वैश्विक स्तर पर आतंकवाद अपने चरम पर है, ये तो तय है कि भारत में गृह युद्ध की प्रबल सम्भावना है, वहीँ सामने आई रिपोर्ट ने चौंकाने वाले खुलासे भी कर दिये है। प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़ा खुलासा किया है। ईडी को जांच में पता चला कि PFI का विदेशों में बड़ा नेटवर्क है। सिंगापुर और खाड़ी देशों में 13 हजार से ज्यादा PFI के सक्रिय सदस्य हैं, जो कि किसी भी घटना को अंजाम देने में सक्षम है। साथ ही ये भी खुलासा हुआ कि इन देशों में पैसे इकट्ठे करने के लिए PFI ने एक समिति का गठन किया है, जो पैसे इकट्ठे करके भारत भेजते हैं। यहां आतंकवादी और अवैध गतिविधियों में इन पैसों का इस्तेमाल किया जाता है। पीएफआई का असली मकसद भारत में जिहाद के जरिए इस्लामिक स्टेट की स्थापना करना है। उनके एजेंडे में स्पष्ट है कि 2047 तक भारत को इस्लामिक स्टेट बनाना है।
तीन सालों में PFI से जुड़े 26 लोग गिरफ्तार :
वहीं PFI पर शिकंजा लगातार कसता जा रहा है जिसमें, मनी लॉन्ड्रिंग मामले में चल रही जांच में ED ने अब तक 94 करोड़ रुपये की अपराध से अर्जित संपत्ति का पता लगाया गया है। तीन सालों में प्रवर्तन निदेशालय PFI से जुड़े 26 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। इसी बीच, प्रतिबंधित संगठन PFI पर ईडी ने बड़ा खुलासा किया है। ईडी की जांच में पता चला कि विदेशों में अभी भी PFI के 13000 सक्रिय सदस्य मौजूद हैं। सूत्रों की माने तो देश में PFI को फिर से मजबूत करने की साजिश लगातार रची जा रही है। ये अचानक से भारत में माहौल ख़राब कर सकते है।
PFI के 29 खातों में देश और विदेश से फंड आया :
प्रवर्तन निदेशालय ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) की चल और अचल 35 संपत्तियां जब्त की हैं। इन संपत्तियों की कीमत लगभग 57 करोड़ रुपये है। इन संपत्तियों में कई ट्रस्ट, कम्पनियां और निजी संपत्तियां भी शामिल हैं। प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली पुलिस और NIA द्वारा दर्ज मामलों को आधार बनाकर मनी लांड्रिंग का केस दर्ज किया गया था। जांच में पता चला है कि PFI के 29 खातों में देश और विदेश से फंड आया था। डमी फर्मों से फंड हवाला के जरिए और दूसरे तरीकों से भेजा गया था, जो कि ED की जाँच में सामने आये है।
PFI का विदेशों में भी बड़ा नेटवर्क :
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ED इस मामले में फरवरी 2021 से मई 2024 तक PFI से जुड़े 26 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। ED ने अब तक 94 करोड़ रुपए की अपराध से अर्जित आय का पता लगाया है। ED को अपनी जांच में पता चला की PFI का विदेशों में भी बड़ा नेटवर्क है। इसके सिंगापुर और खाड़ी देशों में 13000 से अधिक सक्रिय सदस्य हैं, जो कि घातक घटनाओं को अंजाम देने में सक्षम है।
आतंकवादी और अवैध गतिविधियों में PFI का इस्तेमाल :
इन देशों में रहने वाले गैर निवासी मुस्लिम से पैसे इकट्ठा करने के लिए PFI ने डिस्ट्रिक्ट एग्जेक्यूटिव समिति (DEC) का गठन किया है। जिन्हें करोड़ों रुपए की फंडिंग करने का टारगेट दिया गया था। यह पैसा भारत में पीएफआई की आतंकवादी और अवैध गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। जांच में पता चला है कि पीएफआई का असल मकसद उसके दूसरे मकसदों से अलग है। पीएफआई का असली मकसद भारत में जिहाद के जरिए इस्लामिक स्टेट की स्थापना करना है, जबकि वह खुद को सामाजिक आंदोलन के रूप में पेश करता है। पीएफआई अपने कृत्यों को गैर-हिंसक बताती थी लेकिन हासिल सबूतों से पता चलता है कि उनके विरोध के तरीके हिंसक हैं। PFI भारत में काफी मजबूत और घातक संगठन है।
हवाई हमले और गोरिल्ला वार करने की प्लानिंग :
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अपनी जांच में पाया है कि PFI भारत में गृह युद्ध करने के लिए हवाई हमले, गोरिल्ला वार करने के लिए एक अलग से टेली कम्युनिकेशन सिस्टम तैयार करने की योजना बना रहा था। PFI ने अपने सदस्यों को अधिकारियों को परेशान करने, उनको ठगने, सामाजिक संबंध बनाने के साथ दुनिया को मरा हुआ दिखाने के लिए नकली अंतिम संस्कार करने का भी निर्देश दिया गया था।
राष्ट्र की एकता और अखण्डता को कमजोर करना चाहता है PFI :
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भारत के खिलाफ साजिश के तहत PFI राष्ट्र की एकता और अखण्डता को कमजोर करना चाहता है। जिसके लिए वो कानूनों को तोड़ना, दोहरी पहचान और भारत के अंदर समानांतर सरकार चलाना समेत भारत के सीक्रेट एजेंटों की पहचान उजागर करना भी शामिल था। इसके साथ ही पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं। अधिकतर घटनाओं में PFI के लोग ही शामिल पाये गये है।
- दिल्ली में फरवरी 2020 में दिल्ली में हुए दंगों में हिंसा भड़काने और परेशानी पैदा करने की साजिश।
- हाथरस में साम्प्रदायिक माहौल को बिगाड़ने और आतंक फैलाने के लिए PFI और CFI के सदस्यों का दौरा।
- आतंकवादी ग्रुप बनाने की प्लानिंग के तहत, घातक हथियार और विस्फोटक सामग्री जमा करना और महत्वपूर्ण और संवेदनशील जगहों समेत बड़ी हस्तियों पर हमला करने की योजना बनाना।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पटना यात्रा के दौरान अशांति फैलाने के लिए ट्रेनिंग कैंप बनाना।
- देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता के लिए खतरा पैदा करने वाले साहित्य को तैयार करना, प्रिंट करना और रखना।
- जांच के बाद, पीएफआई से जुड़े 35 अचल संपत्तियों जिनकी कीमत 56.56 करोड़ रुपये है, उन्हें जब्त किया गया है। ये संपत्तियां विभिन्न ट्रस्ट, पीएफआई से जुड़े व्यक्तियों और कंपनियों के नाम पर थीं।
- NIA ने इन आरोपों के संबंध में पीएफआई के नेताओं और कैडर्स के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर ऐसी 17 संपत्तियों को ‘आतंकवाद से कमाई गई आय’ के रूप में पहचान कर जब्त किया है।
ED और NIA ने देशभर में की छापेमारी :
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ईडी, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और कई राज्य पुलिस बलों की तरफ से इसके पदाधिकारियों और प्रतिष्ठानों के खिलाफ देश भर में छापेमारी करने के बाद सितंबर 2022 में केंद्र ने पीएफआई पर प्रतिबंध लगा दिया था। ईडी ने आरोप लगाया कि 2006 में केरल में गठित लेकिन दिल्ली में मुख्यालय वाले पीएफआई के वास्तविक उद्देश्य इसके संविधान में बताए गए उद्देश्यों से अलग हैं। पीएफआई के वास्तविक उद्देश्यों में जिहाद के माध्यम से भारत में इस्लामी आंदोलन को अंजाम देने के लिए एक संगठन का गठन करना शामिल है, हालांकि पीएफआई खुद को एक सामाजिक आंदोलन के रूप में पेश करता है। यह भारतीय व्यवस्था के लिये बड़ा खतरा बन चुका है।