फूल चौक-शारदा चौक RDA बिल्डिंग के दुकानदारों को किया जायेगा बेदखल, सामने आई खास जानकारी।

रायपुर : खस्ताहाल निर्माणों पर लगातार निगम को ध्यान रखना पड़ता है, वहीँ सरकारी अधिकारी इन सभी चीजों पर पर्याप्त ध्यान नहीं देते, ऐसे में कई बार बड़ी दुर्घटना हो जाती है, वहीँ अब आरडीए के सबसे पुराने दोनों व्यावसायिक कॉम्प्लेक्स खस्ताहाल हो चुके हैं। इस वजह से दुकानदार भी काफी परेशान हैं। क्योंकि सीमेंट टूट-टूटकर गिरने लगा है। कई जगह लोहे की छड़ें भी दिखाई देने लगी हैं। यदि पीडब्ल्यूडी की तकनीकी जांच में जर्जर घोषित हुआ तो लगभग 150 दुकानदारों को बेदखल करने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। जानकारों का कहना है कि तकनीकी रूप से ऐसे निर्माण की समय सीमा ही 50 साल होती है। यदि इतना समय पूरा हो गया है तो फिर मरम्मत करने के बजाय तोड़कर बनाना ही बेहतर होता है। शहर में ऐसे कई निर्माण कई जगह है।

इस हिसाब से रायपुर विकास प्राधिकरण का शारदा चौक के नजदीक वाला व्यावसायिक कॉम्प्लेक्स, जिसमें 45 से ज्यादा दुकानें हैं, वह 50 वर्ष की सीमा पार कर चुका है। इसी तरह कमिश्नरी ऑफिस के करीब वाला व्यावसायिक कॉम्प्लेक्स भी काफी पुराना हो चुका है, जिसमें कई दुकानें और दूसरी मंजिल पर नगर एवं ग्राम निवेश विभाग का संयुक्त संचालक कार्यालय संचालित हो रहा है। इस बिल्डिंग के भी अलग-अलग जगहों के छज्जे टूट रहे हैं। मरम्मत के अभाव में भी ये दोनों कॉम्प्लेक्स तेजी से जर्जर स्थिति में हैं। आरडीए के अधिकारियों का कहना है कि जिन लोगों को दुकानें आवंटित की गई है, वे मरम्मत कराने के लिए भी खाली करने तैयार नहीं होते हैं। यह सबसे बड़ी दिक्कत होती है। ऐसे ही कई अन्य सरकारी इमारतें जैसे कि सरकारी स्कूलों के भी यही हाल है।

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कलेक्टर डॉ. गौरव सिंह के पत्र के बावजूद जांच ठंडे बस्ते में पड़ी रहने के संबंध जानकारी मिली जिसके बाद पीडब्ल्यूडी में हलचल तेज हुई। कार्यपालन अभियंता हेमंत अरोरा का कहना है कि जिला प्रशासन का पत्र मिला है। जल्द ही चार-पांच इंजीनियरों की टीम गठित कर आरडीए के दोनों व्यावसायिक कॉम्प्लेक्सों की जांच कर 15 दिन के अंदर रिपोर्ट सौंप देंगे। उन्होंने यह भी कहा कि वैसे इसे भवनों की लाइफ तकनीकी रूप से 50 साल ही होती है। फिर भी परीक्षण करने से यह पता चल जाएगा कि तोड़ने लायक है या मरम्मत से काम चलाया जा सकता है।

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