नई दिल्ली : डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट के नियमों को पहली बार संशोधित किया गया है। मसौदा दस्तावेज में कई प्रकार के डेटा फिड्युसरीज को वर्गीकृत किया गया है और कहा गया है कि ऑनलाइन गेमिंग सेवाओं, सोशल मीडिया नेटवर्क और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म जैसी संस्थाओं को तीन साल की अवधि में उपयोगकर्ता डेटा को हटा देना चाहिए, जब इसकी आवश्यकता नहीं रह जाती है, वहीँ आम लोगों के डेटा का दुरुपयोग भी लगातार बढ़ रहा है। केंद्र सरकार की ओर से जारी किए डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण एक्ट (डीपीडीपी)-2025 के मसौदे के मुताबिक ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म, ऑनलाइन गेमिंग और सोशल मीडिया कंपनियों को उपयोगकर्ताओं के डेटा को तीन साल बाद हटाना होगा। नए एक्ट में लोगों की जासूसी पर अंकुश लगाने और उनकी निजता की सुरक्षा के कई उपाय किए गए हैं।
नए मसौदे के मुताबिक कंपनियों को डेटा हटाने से 48 घंटे पहले प्रयोगकर्ता को सूचित करना होगा ताकि वे अपनी जानकारी बनाए रखने के लिए संपर्क कर सकें। खास बात है कि देश में पहली बार डेटा फिड्यूशरी (व्यक्तिगत डेटा एकत्रित करने व इनका इस्तेमाल करने वाली संस्थाएं) की श्रेणियां बनाई गई हैं। इनमें ई-कॉमर्स कंपनियों, गेमिंग कंपनियों व सोशल मीडिया कंपनियों को रखा गया है। इनके लिए दिशा-निर्देश निर्धारित किए गए हैं। मसौदे को 18 जनवरी तक स्टेकहोल्डर्स से सुझाव मांगे गए हैं। नए प्रावधानों के मुताबिक प्रयोगकर्ता को भी अपने डेटा पर पूरा अधिकार होगा। वे अपना डेटा हटवा सकेंगे। कंपनियों से पूछ सकेंगे कि उनका डेटा क्यों इकट्ठा किया जा रहा है? यह उपभोक्ताओं को अपने डेटा पर अधिक नियंत्रण देगा।
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ड्राफ्ट में ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म को देश में कम से कम 20 मिलियन पंजीकृत उपयोगकर्ताओं वाली संस्थाओं के रूप में परिभाषित किया गया है। इस बीच, ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म को 5 मिलियन या उससे अधिक उपयोगकर्ता आधार वाले के रूप में परिभाषित किया गया है, और सोशल मीडिया मध्यस्थों को भारत में 20 मिलियन या उससे अधिक उपयोगकर्ता वाले के रूप में परिभाषित किया गया है।