मोहमाया से दूर अब ममता कुलकर्णी बनेंगी महामंडलेश्वर, सामने आई बड़ी जानकारी।

प्रयागराज (उ.प्र.) : महाकुम्भ चल रहा है जहाँ लोगों की आस्था हिलोरें खा रही है, इस भक्ति की धारा में हर कोई बह जाना चाहता है, ऐसे में 90 के दशक की स्टार बॉलीवुड अभिनेत्री ममता कुलकर्णी ने भी आम जीवन का त्याग कर अब वैराग्य की ओर रूख कर लिया है। अब जानकारी सामने आई है कि ममता कुलकर्णी किन्नर अखाड़े में आकर संन्यासी बन गई हैं। बताया जा रहा कि वे किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर बनने जा रही हैं। उन्होंने अपना पिंडदान भी कर दिया है, अब वे अपना जीवन वैरागी बनकर बितायेंगी। जानकारी के मुताबिक, शाम को ममता का पट्टाभिषेक समारोह होगा, इसके बाद वे महामंडलेश्वर पूरी तरह बन जायेंगी। यह बड़ी खबर अब सामने आई है।

अब से रहेगा ये नाम :

अब दीक्षा के बाद ममता कुलकर्णी को नया नाम दिया गया है, उनका अब नया नाम श्री माई ममता नंद गिरि है। किन्नर अखाड़े की अध्यक्ष और जूना अखाड़ की आर्चाय लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने एक्ट्रेस को दीक्षा दी है। जानकारी दे दें कि किन्नर अखाड़े को मान्यता अभी प्राप्त नहीं है, इस कारण यह वर्तमान में जूना अखाड़े से जुड़ा हुआ है। ममता अब इसी अखाड़े से जुड़ गई है।

ऐसे बनते हैं महामंडलेश्वर?

महामंडलेश्वर की दीक्षा के लिए कठिन तप और समय लगता है, पहले किसी गुरु के साथ जुड़कर अध्यात्म की शिक्षा ली जाती है, उस दौरान आपका आचरण, परिवार मोह त्यागना, साधना सब गुरु की देखरेख में होता है। जब गुरु को लगता है आप इस काबिल हो गए हो तो आपको दरबान से लेकर भंडारे, रसोई जैसे कार्यों में लगाया जाता है, धीरे-धीरे सालों बाद जब आप सब त्याग कर पूरी तरह अध्यात्म में लीन हो जाते हो और गुरु को लगता है अब आप तैयार है तो गुरु जिस अखाड़े से जुड़े होते है। उन अखाड़ों में आपको महामंडलेश्वर की दीक्षा आपकी योग्यता के अनुसार दिलाई जाती है। इसमें आपको प्रभु भक्ति में लीन होना पड़ता है।

पहले किया जाता है सत्यापित :

महामृत्युंजय मन्त्र  उत्पत्ति की कथा और महत्व के साथ :  https://www.youtube.com/watch?v=L0RW9wbV1fA

आवेदन के बाद अखाड़ा परिषद के लोग पहले तो आपके गुरु पर भरोसा करते है, गुरु जिन शिष्यों को लेकर आए है उन्हीं से इनका पिछला इतिहास मांगा जाता है इसके बाद अगर किसी पर कोई शक होता है तो अखाड़ा परिषद खुद उस आवेदन करने वाले का घर, परिवार, गांव, तहसील, थाना सब पता करवाती है, आपराधिक पृष्ठभूमि भी चेक करवाती है। अगर कोई किसी भी जानकारी में योग्य नहीं पाया जाता तो जैसे दीक्षा नहीं दी जाती और उस अस्वीकृत कर दिया जाता है। ऐसे में वह व्यक्ति दीक्षा नहीं ले पाता है।

इस प्रक्रिया के अनुसार होता है निर्णय : 

  • सबसे पहले सम्बंधित अखाड़े को आवेदन देना होता है। फिर संन्यास की दीक्षा देकर संत बनते हैं। संन्यास काल के दौरान जमा धन जनहित के लिए देना होगा।
  • इसके बाद नदी किनारे मुंडन फिर स्नान कराते हैं। परिवार और खुद का तर्पण कराते हैं। पत्नी, बच्चों समेत परिवार का पिंडदान कर संन्यास परंपरा के मुताबिक, विजय हवन संस्कार होता है।
  • फिर दीक्षा दी जाती है। गुरु बनाकर चोटी काटा जाता है।
  • इसके बाद अखाड़े में दूध, घी, शहद, दही, शक्कर से बने पंचामृत से पट्‌टाभिषेक होता है और अखाड़े की ओर से चादर भेंट की जाती है।
  • जिस अखाड़े का महामंडलेश्वर बना है, उसमें उसका प्रवेश होता है। फिर साधु-संत, आम लोग और अखाड़े के पदाधिकारियों को भोजन करवाकर दक्षिणा देनी होती है।
  •  खुद का आश्रम, संस्कृत विद्यालय, ब्राह्मणों को नि:शुल्क वेद की शिक्षा देना होती है।

उपरोक्त प्रक्रिया से गुजरने के बाद ही महामंडलेश्वर की उपाधि मिलती है, जिससे वो आगे सन्यासी का जीवन बिता सकता है और ब्रम्ह कार्यों में अपनी सेवा दे सकता है।

फिल्म इंडस्ट्री छोड़ बनीं संन्यासी :

ममता कुलकर्णी हिंदी सिनेमा में कई सुपरस्टार्स संग काम कर चुकी हैं, जिसमें ‘छुपा रुस्तम’, ‘सेंसर’, ‘जाने-जिगर’, ‘चाइना गेट’, ‘किला’, ‘क्रांतिकारी’, ‘जीवन युद्ध’, ‘नसीब’, ‘बेकाबू’, ‘बाजी’, ‘करन अर्जुन’, ‘तिरंगा’ जैसी फिल्में शामिल हैं, जिसमें उन्होंने बतौर लीड काम किया। अब ममता कुलकर्णी ने ग्लैमर की चकाचौंध को छोड़कर धर्म के रास्ते पर चलने का फैसला किया है। ममता कुलकर्णी पिछले कई सालों से भारत से बाहर थीं जो 25 साल बाद विदेश से लौटी हैं। एक्ट्रेस के बॉलीवुड में वापसी की खबरे आई। हालांकि, एक्ट्रेस ने इन सभी अफवाहों को खारिज करते हुए बताया अपने सोशल मीडिया से खुलासा कर दिया है कि वह संन्यासी बन गई हैं।