राजनांदगांव : ठगों का धंधा अपने चरम पर है, ये लगातार विभिन्न तरीकों से ठगियों को अंजाम दे रहे थे, एक गलती ने इन्हें जेल भिजवा दिया है, मामला है छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले की पुलिस ने एक अंतरराष्ट्रीय साइबर धोखाधड़ी गिरोह का खुलासा करते हुए 4 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों ने कंबोडिया में बैठे धोखेबाजों के लिए ‘म्यूल’ बैंक खाते उपलब्ध कराए थे, जिनके जरिए लगभग 10 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की गई थी। पुलिस के मुताबिक, ‘म्यूल’ खातों का इस्तेमाल धोखाधड़ी के पैसे को हवाला और क्रिप्टोकरेंसी के जरिए अंतरराष्ट्रीय धोखेबाजों तक पहुंचाने के लिए किया गया था, जिससे ये लोग ठगी में शामिल होते थे। इस गिरोह में शामिल आरोपियों में वलसाड (गुजरात) का श्रेणिक कुमार सांघवी और राजनांदगांव के आशुतोष शर्मा, शुभम तिवारी और दीपक नरेडी भी शामिल हैं।
दोस्त ने की शिकायत, और हो गया खुलासा :
ठगी का यह चौंकाने वाला मामला तब सामने आया जब राजनांदगांव के नागरिक सेवा वितरण केंद्र संचालक रूपेश साहू के बैंक खाते का इस्तेमाल धोखाधड़ी के लिए किया गया था। 23 जनवरी को साहू ने पुलिस में शिकायत की कि उसके दोस्त आशुतोष शर्मा ने धोखाधड़ी के पैसों से संबंधित कई लेन-देन उसके खाते में किए थे, जिसके बाद उसका अकाउंट फ्रीज कर दिया गया है। इसके बाद पुलिस ने जांच शुरू की और शर्मा के खिलाफ FIR दर्ज की। पूछताछ में शर्मा ने बताया कि उसने कंबोडिया के घोटालेबाजों के कहने पर कई अन्य भारतीय लोगों के बैंक खातों को धोखाधड़ी के लिए उपलब्ध कराया था। जिससे पैसे का हस्तान्तरण होता था।
ठगों के गिरोह का अंतर्राष्ट्रीय कनेक्शन :
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पुलिस के मुताबिक, श्रेणिक कुमार सांघवी ने जून 2024 में अपने गिरोह के कुछ साथियों के साथ कंबोडिया का दौरा किया था। वहां उन्हें एक कैसीनो के कॉल सेंटर में घोटालेबाजों से मिलकर भारतीयों के बैंक खातों की जानकारी देने का काम मिला था। जब सांघवी भारत लौटा, तो उन्होंने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर भारतीय बैंक खातों का इस्तेमाल धोखाधड़ी के लिए किया। इसके बाद सांघवी ने इन खातों से पैसे निकाले, जिन्हें हवाला और क्रिप्टोकरेंसी के जरिये कंबोडिया भेजा जाता था। सांघवी को इस धोखाधड़ी के लिए ट्रांसफर की गई रकम पर 8 से 9 पर्सेंट, जबकि शर्मा को 4 पर्सेंट कमीशन मिलता था। जिसके एवज में ये भारतीय लोगों के खाते उपलब्ध करवाते थे। इस तरह का एक रुपया भी खाते में आने पर पुलिस तुरंत ही खातों को फ्रीज करवा देती है।
कितनी ठगी हुई और कैसे काम करता था गिरोह :
शुभम तिवारी और दीपक नरेडी को प्रत्येक ‘म्यूल अकाउंट’ के लिए 35,000 रुपये तक कमीशन मिलता था। पुलिस ने जांच के दौरान पाया कि इस गिरोह ने लगभग 50 म्यूल बैंक अकाउंट्स का इस्तेमाल कर लगभग 10 करोड़ रुपये की ठगी की है। इन खातों का इस्तेमाल नौकरी दिलाने, फर्जी कंपनियों में निवेश करने, और शादी-विवाह करवाने वाली वेबसाइटों के नाम पर लोगों से करोड़ों रुपये ठगने के लिए किया गया था। पुलिस इस मामले में आगे की जांच कर रही है और धोखाधड़ी के लिए अपने खाते उपलब्ध कराने वाले खाताधारकों के खिलाफ भी कार्यवाही करने की योजना बना रही है। खाताधारकों को जाँच के दायरे में रखा गया है, कहीं उनकी खुद की भी तो मिलीभगत नही थी।