‘कपड़े उतरवाए और रिश्वत मांगी’, बिजनेस वुमन के सुसाइड केस में DSP कनकलक्ष्मी गिरफ्तार, इस मामले से जुड़ा है कनेक्शन….।

बेंगलुरु/कर्नाटक : महिला उद्योगपति सुसाइड मामले में SIT ने CID की डीएसपी रेंक की महिला अधिकारी को गिरफ्तार कर लिया है। पिछले साल 22 नवम्बर को एस जीवा नाम की महिला व्यवसायी ने आत्महत्या कर ली थी। महिला पुलिस अधिकारी और CID में डीएसपी पद पर तैनात कनकलक्ष्मी पर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगा था। यह मामला नवम्बर 2024 का है जिसमें कर्नाटक पुलिस ने बेंगलुरु में तैनात डीएसपी कनकलक्ष्मी के खिलाफ एक महिला को आत्महत्या के लिए उकसाने और रिश्वत मांगने का मामला दर्ज किया था, इस मामले में आरोपी DSP की पोस्टिंग उस समय CID डिपार्टमेंट में थी। उन पर एक महिला कारोबारी को पूछताछ के लिए दफ्तर बुलाकर उनके कपड़े उतरवाने,  25 लाख रुपये की रिश्वत मांगने और फिर उनकी दुकान पर सबके सामने उन्हें अपमानित करने का आरोप है. कनकलक्ष्मी पर भारतीय न्याय संहिता की धाराओं के अलावा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत मुकद्दमा दर्ज किया गया है.

दरअसल, कर्नाटक भोवी डेवेलपमेंट स्कैम में एस जीवा का नाम उछला था। आरोप था कि भोवी जाति के कल्याण के लिए बनाए गए बोर्ड में फंड को लेकर स्कैम हुआ है। एस जीवा ने बोर्ड के लिए फर्नीचर सप्लाई किया था और आरोप लगा था कि बोर्ड ने उनसे फर्नीचर कई गुना ज्यादा दाम लेकर खरीदा और जीवा ने बोर्ड मेम्बर्स को कमीशन दिया है।

11 पन्नों का सुसाइड नोट लिखकर दी जान :

मामले की जांच CID को सौंपी गई और एक आरोपी के तौर पर एस जीवा से भी पूछताछ की गई। इसी दौरान DySP पर आरोप लगे कि उन्होंने जीवा को टॉर्चर किया। जीवा ने 11 पन्नों का सुसाइड नोट लिखकर आत्महत्या कर ली थी, जिसमें दावा किया गया कि पूछताछ के बहाने उसे परेशान किया जा रहा था। अपने सुसाइड नोट में जीवा ने महिला पुलिस अधिकारी कनकलक्ष्मी पर आरोप लगाया कि पूछताछ के नाम पर उन्हें सबके सामने कपड़े उतारने पर मजबूर किया गया और उनसे लाखों रुपये की रिश्वत भी मांगी गई है। वहीँ अब जीवा सुसाइड मामले में कनकलक्ष्मी के खिलाफ FIR दर्ज की गई। जांच में उन पर लगे आरोप सही पाए गए जिसके बाद अब उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है।

क्या है भोवी विकास निगम घोटाला?

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भोवी निगम की योजना के तहत 2021-22 वित्तीय वर्ष में उद्यमियों को लाखों रुपये का ऋण प्रदान करने के लिए सार्वजनिक दस्तावेजों का दुरुपयोग करके 10 करोड़ रुपये से अधिक धन के अवैध हस्तांतरण के आरोप थे। 2023 में, इस आरोप पर बेंगलुरु, बेंगलुरु ग्रामीण और कलबुर्गी में एफआईआर दर्ज की गई थी कि निगम के कुछ अधिकारियों ने मामले को छिपाने के लिए अकाउंटिंग फाइल, कैश बुक, प्रोजेक्ट फाइल, बैंक चेक सहित 200 से अधिक फाइलें चुरा ली थीं। बाद में, कर्नाटक सरकार ने सीआईडी को मामले की जांच करने का आदेश दिया है। इसकी भी जांच जारी है