अमरावती (आंध्रप्रदेश) : तमिलनाडु में एमके स्टालिन की अगुवाई वाली डीएमके सरकार द्वारा हिंदी भाषा का विरोध किए जाने को लेकर जहां दक्षिण से लेकर दिल्ली तक राजनीति गरमाई हुई है। वहीँ इस मुद्दे पर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन दक्षिण राज्यों के दूसरे मुख्यमंत्रियों के साथ 22 मार्च को बैठक करने वाले हैं तो वहीं दूसरी तरफ आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने अपना स्टैंड साफ कर दिया है। मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने सोमवार को कहा कि जो लोग अपनी मातृभाषा में शिक्षा प्राप्त करते हैं, वे दुनिया भर में सफलता हासिल कर रहे हैं। नायडू ने कहा कि यह एक गलत धारणा प्रचलित है कि केवल अंग्रेजी भाषा में ही ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।
मातृभाषा में शिक्षा हासिल करना आसान :
विधानसभा में मुख्यमंत्री नायडू ने कहा, ‘भाषा केवल संवाद का माध्यम है। ज्ञान भाषा से नहीं आ जाएगा। जो लोग अपनी मातृभाषा में पढ़ाई करते हैं, वे दुनिया भर में सफलता हासिल कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि मातृभाषा में शिक्षा हासिल करना आसान होता है। वहीँ इस मामले में कुछ लोगों ने कहा कि मातृभाषा किसी व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है क्योंकि यह उनकी पहचान और संस्कृति को आकार देती है, इसकी अहमियत में कोई कमी नहीं होती यह भाषा बच्चों को बचपन से उनकी माँ द्वारा एक उपहार के रूप में प्राप्त होती है। यह वह भाषा है जिसमें लोग अपनी भावनाओं, विचारों और विचारों को व्यक्त करते हैं। एक बच्चे की पहली भाषा सीखने और संज्ञानात्मक विकास की नींव होती है, और यह अन्य भाषाओं को सीखने में मदद करती है।
केंद्र-तमिलनाडु के भाषा विवाद पर आई नायडू की टिप्पणी :
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नायडू की यह टिप्पणी उपमुख्यमंत्री और जनसेना प्रमुख पवन कल्याण द्वारा हाल ही में तमिलनाडु सरकार और केंद्र सरकार के बीच जारी भाषा विवाद पर टिप्पणी करने के बाद आई है। मुख्यमंत्री नायडू ने कहा, ‘मैं आपसे यह बहुत स्पष्ट रूप से कह रहा हूं। भाषा नफरत करने के लिए नहीं है। यहां (आंध्र प्रदेश में) मातृभाषा तेलुगु है। हिंदी ‘राष्ट्रीय भाषा’ है और अंतरराष्ट्रीय भाषा अंग्रेजी है।’ इस तरह उन्होंने सभी भाषाओँ की अपनी – अपनी अहमियत बताई है।
अधिक से अधिक भाषा सीखने का भी आह्वान :
मुख्यमंत्री नायडू ने इस बात पर जोर दिया कि आजीविका के लिए मातृभाषा को भूले बिना अधिक से अधिक भाषाएं सीखना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि ‘राष्ट्रीय भाषा’ सीखने से दिल्ली में हिंदी में सहजता से बातचीत की जा सकती है। उन्होंने अपील की है कि ‘भाषाओं को लेकर अनावश्यक राजनीति’ में शामिल होने की कोई आवश्यकता नहीं है। इसके साथ ही नायडू ने अधिक से अधिक भाषाएं सीखने का भी आह्वान किया। वहीँ अलग – अलग क्षेत्रों में आपको अलग-अलग भाषायें काम आती है, ऐसे में मुख्यमंत्री नायडू ने अधिकतर भाषायें सीखने की महत्ता पर जोर दिया है, ना की किसी भाषा के विरोध करने पर।



