हरिओम गौधाम धरम नगर में 12 सालों से गौमाता की चल रही है लगातार सेवा, भारी विरोधों के बावजूद नहीं पड़ा कोई फर्क।

रायपुर : धर्म शास्त्रों के अनुसार गौमाता की सेवा को हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि गाय को देवी का रूप और 33 कोटि देवी-देवताओं का निवास स्थान माना जाता है, जिसकी सेवा से सुख-समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य का वरदान मिलता है। गाय की सेवा से सभी देवी देवता प्रसन्न होते हैं, साथ ही परिवार को सुख-समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य का वरदान मिलता है। गाय की सेवा से कुंडली का कोई भी दोष दूर हो सकता है और पितृदोष आदि के कारण आने वाली बाधाओं से भी मुक्ति मिलती है। गौमाता की महत्ता कितनी इसको जितने ज्यादा शब्दों में बताया जाये उतना ही कम है। पहले की समय में धर्म संस्कृति और संस्कारों को लेकर लोग घरों में गौपालन करते थे, अब लोगों ने आधुनिकता की आड़ में घरों में कुत्ते पालना शुरू कर दिया है, शास्त्रों के अनुसार जिस घर में श्वान पाला जाता है, वहां पुन्य आत्मा का जाना वर्जित होता है, वहीँ गौमाता को पालना धर्म दृष्टि से पुन्य का भागी बनाता है, जिस माँ के सीने से अपनी संतान के लिये दूध नहीं आता , वहां गाय का दूध बच्चे के लिये अमृत होता है, इसलिये भी हम उसे गौमाता कहते है।

गौमाता की दुर्दशा :

गौमाता लगातार दुर्दशा की शिकार हो रही है, यह एक गंभीर समस्या है, जहाँ गायों को उचित देखभाल और संरक्षण नहीं मिल पा रहा है, जिसके कारण वे सड़कों पर घूमती हैं और कचरा खाती हैं और दुर्दशा का शिकार हो रही हैं। उस कचरे में गंदगी इतनी की आदमी सुन भी ना पाये।

गौमाता की दुर्दशा के कारण :

  • घुमन्तु गायें : सड़कों पर घूमती घुमंतु गायें दुर्घटनाओं का कारण बन रही हैं और लोगों के लिए परेशानी का सबब बन रही हैं।
  • कचरा खाना : गौमाता को पर्याप्त चारा नहीं मिल पाता, जिसके कारण वे कचरा खाने को मजबूर हो जाती हैं।
  • गौशालाओं में दुर्दशा : कुछ गौशालाओं में गायों को उचित देखभाल और भोजन नहीं मिल पाता, जिससे वे बीमार हो जाती हैं और मर जाती हैं। 
  • स्वदेशी नस्लों को नजरअंदाज करना :अधिक दूध उत्पादन के लालच में विदेशी नस्लों को महत्व दिया जा रहा है, जिससे स्वदेशी गौधन को नुकसान हो रहा है।
  • लापरवाही : गाय पालने वाले लोग लगातार लापरवाही कर रहे हैं, जिससे गौमाता की दुर्दशा हो रही है।

गौमाता की दुर्दशा का प्रभाव :

  • दुःख और कष्ट:गौमाता को दुर्दशा का शिकार होना पड़ता है, जिससे उन्हें दुःख और कष्ट होता है।
  • दुर्घटनाएं : आवारा गायों के कारण सड़क दुर्घटनाएं होती हैं।
  • पर्यावरण पर प्रभाव :गौमाता के कचरा खाने से पर्यावरण पर भी बुरा असर पड़ता है।

इसका मानव जीवन पर धार्मिक और भौतिक गहरा प्रभाव पड़ रहा है, जिसके कारण नकली दूध, मिठाइयों और पनीर का सेवन मानव को बीमार करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है, धार्मिक दृष्टि से भी आम आदमी (मुख्यतः हिन्दू) जाने – अन्जाने ही इस पाप का भागी बन रहा है। गौमाता की दुर्दशा एक गंभीर समस्या है, जिसका समाधान तत्काल आवश्यक है। हमें गायों को उचित देखभाल और संरक्षण प्रदान करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।

हरिओम गौधाम धरम नगर में 12 सालों से गौमाता हो रही है सेवा :

खास ख़बरों के लिये सब्सक्राईब करें हमारा यूट्यूब चैनल :  https://www.youtube.com/@MachisMediaNews/

राजधानी की कई जगहों पर गौमाता की सेवा में कई लोग निस्वार्थ रूप से जुटे हुये है, जो लगातार गौमाता की रक्षा कर रहे है , इलाज कर रहे है, उनके खान-पान चारा की व्यवस्था कर रहे है, इसी के अंतर्गत पचपेड़ी नाका धरम नगर में हरिओम गौधाम के नाम पर गौधाम का संचालन बीते 12 सालों से लगातार चल रहा है, इस गौधाम में पूरे प्रदेश से गंभीर गौवंश को वहां लाकर इलाज की सेवा की जाती है, जहाँ पर अभी-भी कुछ गौवंश एक पैर के बिना है जिनकी सेवा अब भी लगातार चल रही है। जो गौवंश स्वस्थ हो जाते है, उन्हें गौमंदिर लीलावती भगवान दास गौसेवा सदन में भेज दिया जाता है, जहाँ उनके रहने और चारे की पूरी व्यवस्था की जाती है, यहाँ लगभग 12 एकड़ क्षेत्रफल है।

वहीँ हरिओम गौधाम की स्थापना नरेश चंद्रवंशी द्वारा की छोटे स्तर पर शुरू की गई थी, जिसमें उनके साथी ऑटो वाले भाई, मजदूर लोगों ने बहुत साथ दिया, आज भी सभी बहुत ही मेहनत , प्रेम और मशक्कत से गौमाता की सेवा कर रहे है, जिसमें चोटिल अथवा घायल गौमाता के इलाज की पूरी व्यवस्था की जाती है, जिसमें गौमाता को जरुरी इंजेक्शन लगाना, दवाइयां देना, मरहम पट्टी करना, उनके लिये गौ एम्बुलेंस का संचालन करना, चारा आदि की व्यवस्था करना, उनके रहने का स्थान जुटाना सफाई करना आदि, ये सभी व्यवस्थायें सभी गौसेवक भाइयों द्वारा मिलकर की जाती है। इन सभी कार्यों को सभी गौ भाई अपने जेब से मिलकर खर्च करते है जो कम ज्यादा होता है, उसका सहयोग क्षेत्रिय मार्बल व्यवसायी करते है, उनका भी काफी सहयोग मिलता है।

गौधाम का कई बार हो चुका है विरोध और वसूली के लिये लोग कर चुके है परेशान :

भक्ति संगीत के लिये सब्सक्राईब करें हमारा यूट्यूब चैनल :  https://www.youtube.com/@MachisFilmBhakti

धरम नगर में गौशाला शुरू के होने के बाद कई लोग समर्थन और सहयोग में सामने आये, जिन लोगों अपनी गौ भावना को लेकर पूरा साथ दिया, इसमें स्थानीय वासियों ने भरपूर सहयोग दिया और टाइल्स व्यापारियों ने भी अपना भरपूर सहयोग दिया है, इसी बीच कुछ लोभी और स्वार्थ परक लोगों ने गौसेवक को कई बार परेशान भी किया है, उनके साथ धमकी चमकी भी की और कुछ लोग तो अवैध वसूली के लिये भी आने लगे, कई बार कुछ लोगों ने गौधाम का बड़ा विरोध किया, फिर भी आज तक गौसेवकों की सेवा निरंतर चल रही है। इस गौधाम को देखने के लिये संत शिरोमणि गोपाल मणि महाराज, बनारस के प्रसिद्द संत, भारतीय गौक्रांति मंच के प्रदेश अध्यक्ष नवीन अग्रवाल, दूधाधारी मठ के महंत रामसुन्दर दास सहित कई राष्ट्रीय स्तर के गौसेवक आ चुके है। साथ ही इस गौधाम में राज्य के कद्दावर नेता बृजमोहन अग्रवाल के सहयोगियों द्वारा भी समर्थन प्राप्त है, उपरोक्त सभी जानकारियां माचिस मीडिया के प्रतिनिधि ने उक्त गौधाम में जाकर नरेश चंद्रवंशी एवम सभी गौसेवकों से ली।