नई दिल्ली : लगातार विरोध और बवाल के बीच आज से नया वक्फ कानून लागू हो चुका है। केंद्र सरकार ने इसे लेकर अधिसूचना जारी भी कर दी है। बता दें कि वक्फ संशोधन विधेयक को पहले लोकसभा और फिर राज्यसभा में पेश किया गया था। दोनों जगहों से इसके पास होने के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस विधेयक पर हस्ताक्षर किए है, जिसके बाद से अब यह कानून बन गया है। वहीं आज केंद्र सरकार ने एक नॉटिफिकेशन जारी करते हुए जानकारी दी है कि यह कानून आज (8 अप्रैल) से ही पूरे देश में लागू हो गया है। वहीं दूसरी तरफ इसे लेकर बवाल भी शुरू हो गया है, जो कि किसी ना किसी बहाने से जारी रहने की उम्मीद है, लेकिन अब कुछ भी होना मुश्किल है। इधर देश के अधिकांश मुस्लिम संगठनों की ओर से वक्फ कानून के खिलाफ लगातार प्रदर्शन भी किया जा रहा है।
राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद बना कानून :
वहीँ इस विधेयक के बारे में सरकार ने दावा किया है कि इसके कारण देश के गरीब एवं पसमांदा मुसलमानों एवं इस समुदाय की महिलाओं की स्थिति में सुधाार लाने में काफी मदद मिलेगी। इसे गुरुवार को लोकसभा में पारित कर दिया गया है, जिसमें 288 सदस्यों ने इसका समर्थन किया है तथा 232 सदस्यों ने इसका विरोध किया। वहीं इसे लेकर विपक्षी दलों की ओर से कड़ी आपत्तियां व्यक्त की गईं है, जिन्होंने विधेयक को ‘मुस्लिम विरोधी’ और ‘असंवैधानिक’ करार दिया है, जबकि सरकार ने जवाब दिया है कि इस ‘ऐतिहासिक सुधार’ से अल्पसंख्यक समुदाय को लाभ होगा। राज्यसभा ने वक्फ बोर्ड में पारदर्शिता बढ़ाने सहित कई महत्वपूर्ण प्रावधानों वाले वक्फ संशोधन विधेयक, 2025 को लंबी चर्चा के बाद 95 के मुकाबले 128 मतों से मंजूरी दे दी थी। इसके बाद राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह कानून बन गया। वहीँ वहीँ अब विरोध और गतिरोध के अलावा विपक्ष के पास कुछ नहीं बचा है।
मुस्लिम संगठन कर रहे विरोध :
इस मामले में कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद और एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में वक्फ (संशोधन) विधेयक की वैधता को चुनौती देते हुए कहा है कि यह संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करता है। जावेद की याचिका में आरोप लगाया गया है कि विधेयक में वक्फ संपत्तियों और उनके प्रबंधन पर “मनमाने प्रतिबंध” लगाने के प्रावधान किये गये हैं, जिससे मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वायत्तता कमजोर होगी। वहीँ अधिवक्ता अनस तनवीर के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि विधेयक में मुस्लिम समुदाय से भेदभाव किया गया है, क्योंकि इसमें “ऐसे प्रतिबंध लगाए गए हैं, जो अन्य धार्मिक बंदोबस्तों में मौजूद नहीं हैं।”
ओवैसी की याचिका वकील लजफीर अहमद ने दायर की है। वहीँ दूसरी तरफ इस मामले में पाकिस्तान के एक्सपर्ट कमर चीमा ने इस बिल को लेकर जो राय रखी है वो जरा हटकर है। कमर चीमा ने कहा कि भारत के वक्फ कानून के बारे में कहा कि उनका मानना है कि मोदी सरकार जो कर रही है वह ठीक है। उन्होंने कहा कि ‘मोदी सरकार कह रही है कि वह वक्फ संपत्तियों का डिजिटलाइजेशन करना चाहती है, ट्रांसपेरेंसी लाना चाहती है। ये कोई बुरी चीज तो नहीं है।’ उन्होंने अवैध अतिक्रमण रोकने के लिए लाए गए प्रावधानों का समर्थन किया है और कहा कि मुस्लिमों को खुद इस बात का समर्थन करना चाहिए। जबकि पाकिस्तानी हमेशा से ही भारत विरोधी रहे है।