बरेली (उ.प्र.) : पिछले वर्ष कांवड़ यात्रा के समय दुकानदारों को सही नाम लिखने के निर्देश दिये गये थे, जिसके बाद राजनैतिक बवाल मचा था। वहीँ इस वर्ष भी देश में 11 जुलाई से सावन का पवित्र महीना शुरू होने जा रहा है। इस दौरान कावंड़ यात्रा निकाली जाएगी। 4 करोड़ से ज्यादा कांवड़िए जयकारों के साथ हरिद्वार से जल लेने के लिए निकलेंगे। लेकिन कांवड़ यात्रा शुरू होने से पहले ही रास्ते में पड़ने वाले ढाबों और होटलों में मिलने वाले खाने और उनकी पहचान को लेकर माहौल गरमाया हुआ है।
एक तरफ मुजफ्फरनगर में पहचान विवाद के बाद बरेली में हिंदू महासभा ने पोस्टर कैंपेन शुरू कर दिया है। दरअसल हिंदू महासभा के लोग ढाबे, होटल और ठेलों पर ‘मैं हिंदू हूं’ के पोस्टर लगा रहे हैं। संगठन का दावा है कि इससे कोई धर्म छिपाकर दुकान नहीं चला पायेगा। वहीं कांवड़ यात्रा को लेकर प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद है। कांवड़ रूट पर होटल-ढाबों, रेस्टोरेंट को लेकर भी प्रशासन काफी अलर्ट है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने साफ कर दिया है कि उपद्रवियों के साथ सख्ती से निपटा जाएगा। वहीँ यह कदम धार्मिक आस्था को लेकर उठाया गया है, जिससे किसी का धर्म भ्रष्ट ना हो।
हिंदू महासभा का ऐलान :
इसे मामले पर यशवीर महाराज ने लोगों से कहा, ‘अपने सनातन धर्म के जो होटल, ढाबे, चाय की दुकानें, मिठाई की दुकान, जूस की दुकानें हैं, उनपर भगवान वराह का चित्र लगाएं और भगवा ध्वज लगाएं। इससे सनातन धर्म के लोगों को और कांवड़ लाने वाले शिव भक्तों को संदेश जाएगा कि आप लोग वहीं भोजन करें, जहां भगवा ध्वज है, मोटे अक्षरों में सनातन धर्म के लोगों का नाम लिखा हुआ है और भगवान वराह का चित्र है। जहां पर भगवान वराह का चित्र होगा समझिए वहां थूक, मूत्र करने वाला गैंग नहीं है। वहां सनातन धर्म के लोगों की ही खान-पान की दुकानें हैं।’ ऐसे में इस पर भी विवाद शुरू हो गया है।
कब से शुरू होगी कांवड़ यात्रा :
बता दें कि 11 जुलाई से देश में सावन महीने की शुरुआत हो रही है। इसी के साथ 11 जुलाई से ही कांवड़ यात्रा की शुरुआत हो जाएगी। कांवड़ यात्रा 23 जुलाई तक चलेगी। इस दौरान कांवड़िए हरिद्वार से गंगाजल लेकर अपने गांव की मंदिर तक जाएंगे, जहां वो भगवान शिव का जलाभिषेक करेंगे। बता दें कि इसे लेकर उत्तर प्रदेश सरकार पूरी तरह मुस्तैद है। गौरतलब है कि पिछले साल सावन के महीने में फल की दुकानों, होटलों के संचालकों, ढाबों, चाय की दुकानों के मालिकों को ये कहा गया था कि अपनी दुकानों के आगे अपना नाम लिखें, ताकि कांवड़िए पहचान सकें कि कौन सी दुकान किसकी है। उस समय काफी बवाल मचा था।



