शर्मनाक और दुखद कृत्य : गोआ में काफी प्रताड़ना के शिकार हुये दो युवक, रेलवे ट्रैक पर गिरे खाने को खाया, 5 दिन पैदल चलकर पहुंचे रायपुर।

रायपुर : आम आदमी अपने जीवन में कुछ कमियों को लेकर भगवान से नाराजगी जताता है और अपनी किसमत को कोसता है, लेकिन उसे शायद ये नहीं मालूम कि वो कितना सुखी है, एक पुराना गीत है, दुनियां में कितना गम है और मेरा गम कितना कम है, लोगों का गम देखा तो मै अपना गम भूल गया, ऐसे ही एक प्रताड़ना की कहानी सामने आई है , जिसमें ट्रेन के बाथरूम में छुपकर गोवा से नागपुर पहुंचे युवक और फिर पांच दिन तक वहां से पैदल चलकर रायपुर आये है। उन्हें पूरे रास्ते कोई मदद नहीं मिली। ये युवक थके, भूखे और डरे हुए थे। तेलीबांधा यातायत थाना प्रभारी विशाल कुजूर ने जब पूछा कि आठ दिन बिना पैसे कैसे गुजारे, दोनों का जवाब सुनकर उनका गला भर आया।

कहानी यह है कि थाना प्रभारी विशाल कुजूर ने बताया दो दिन पहले ड्यूटी के दौरान उनके आरक्षक ने बताया कि दो युवक नागपुर से पैदल आए हैं और झारसुगुड़ा जाने का रास्ता पूछ रहे हैं। शक होने पर टीआई कुजूर ने जब उनसे बातचीत की, तो उनकी दर्दभरी कहानी सुनकर वे खुद भी भावुक हो उठे, उन्होंने अपने साथ हुई प्रताड़ना की कहानी बयान की।

गोआ में कंपनी के मजदूरी भी नहीं दी और पीटा :

दुनियां में दुष्ट और पापियों की कमी नहीं है, जहाँ ये दोनों दोनों युवक प्रदीप और संतोष, सुंदरगढ़ (ओडिशा) के अंदरूनी गांव से किसी एजेंट के जरिए मछली पकड़ने के काम के बहाने गोआ ले जाए गए थे। तीन महीने तक काम कराने के बाद भी उन्हें मजदूरी नहीं दी गई। जब उन्होंने विरोध किया, तो पानी जहाज के मालिक ने मारपीट कर उन्हें भगा दिया गया। डर और लाचारी के कारण वे गोआ पुलिस तक भी नहीं गए। जेब में एक सौ रुपये तक नहीं थे, ना खाने के लिये पैसा ना ना वापस लौटने का कोई जुगाड़।

रेलवे ट्रैक के किनारे गिरे खाने को खा रहे थे :

इस मामले में पीड़ित युवकों ने बताया कि दोनों का मोबाईल फोन, आधार कार्ड और जरूरी दस्तावेज गोआ में ही कंपनी के मालिक ने जब्त कर लिया हैं। जब उन्होंने अपने घरवालों से संपर्क कराने की कोशिश की, तो मोबाईल स्विच ऑफ मिला, उनके गांव में नेटवर्क ही नहीं मिलता। इसलिए बिना पैसे के ही पैदल ही चले आए। उनकी ये दुखद कहानी सुनकर स्थिति समझते ही टीआई विशाल कुजूर ने तुरंत दोनों को भोजन कराया, आर्थिक मदद दी और झारसुगुड़ा तक का टिकट खरीदकर स्वयं ट्रेन में बैठाया। अपना मोबाईल नंबर देकर कहा घर पहुंचकर कॉल करना और गांव के सरपंच की मदद से एजेंट और मालिक की शिकायत स्थानीय थाने में जरूर करना।

कोई ऐसा पैदल जाता दिखाई दे तो जरूर पूछिए… मदद कीजिए। पता नहीं किस हाल में चल रहा होगा। संयोग भी भावुक कर देने वाला रहा। यह पूरी घटना 22 नवंबर को हुई, वही तारीख जब वर्ष 2017 में उनकी पहली पोस्टिंग कुनकुरी थाने में हुई थी। कोरोना काल के वे दिन याद आ गए, जब लोग पैदल सफर करते थे और समाज ने बढ़-चढ़कर मदद की थी। : विशाल कुजूर, थाना प्रभारी, यातायत, तेलीबांधा