नई दिल्ली : दुनियां भारत से डरती नहीं है, बल्कि भारत दुनियां का सबसे बड़ा उपभोक्ता बाज़ार है, जिससे कोई भी देश अपना सम्बन्ध खराब नहीं करना चाहता है। ऐसे में देश का पैसा देश में रहना चाहिये इसके लिये आत्मनिर्भर भारत बनना जरुरी है। इसी विचार को लेकर परधन नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट की मीटिंग में बुधवार, 26 नवंबर को रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट्स की मैन्युफैक्चरिंग को लेकर एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया हैं। इसके तहत सरकार ने रेयर अर्थ के मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ाने के लिए 7,280 करोड़ रुपये की एक नई स्कीम को मंजूरी देने का फैसला लिया हैं।
भारत में शुरू हो रही यह अपने तरह की पहली योजना है। सरकार का उद्देश्य देश में 6,000 मीट्रिक टन प्रति वर्ष की इंटीग्रेटेड रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट (REPM) मैन्युफैक्चरिंग यूनिट की स्थापना करना है। इस संबंध में पिछले कुछ दिनों से बातचीत जारी थी। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस स्कीम को लेकर जानकारी देते हुए कहा कि, ‘सिन्टर्ड रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट्स मैन्युफैक्चरिंग प्रमोशन स्कीम’ की शुरुआत देश में रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट्स के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए की गई हैं। जिसका देश को बड़ा लाभ मिलेगा।
इस पहल के तहत हर साल 6,000 मीट्रिक टन क्षमता तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है। जिससे भारत इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में मजबूत कदम बढ़ा सके। इस योजना के तहत एक अत्याधुनिक इंटीग्रेटेड REPM मैन्युफैक्चरिंग प्लांट स्थापित करने की योजना है। देश में हर उत्पाद को बनाने का प्रयास लगातार किया जा रहा है।
पूरी दुनिया में मौजूद रेयर अर्थ का करीब 80 प्रतिशत हिस्सा चीन के नियंत्रण में आता है। भारत सहित दुनिया के कई देश रेयर अर्थ के लिए बहुत हद तक चीन पर निर्भर हैं। पिछले दिनों चीन ने रेयर अर्थ को लेकर प्रतिबंध की घोषणा की थी और निर्यात पर रोक लगा दिया था। वित्तीय वर्ष 2024-25 में भारत ने चीन से 870 टन रेयर अर्थ मैग्नेट्स आयात किया है। हालांकि, भारत सरकार के आज के इस कदम से पूरी उम्मीद की जा रही है कि, आने वाले समय में भारत की निर्भरता चीन पर कम होगी। साथ ही भारत इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में मजबूत कदम बढ़ा सकेगा। ऐसे ही भारत लगातार हर क्षेत्र में अपनी आत्मनिर्भरता बढ़ा रहा है।



