राजधानी में 15 हजार किलो से ज्यादा नकली पनीर जब्त, आम आदमी की सेहत से बड़ा खिलवाड़।

 रायपुर : डेयरी उत्पादों की वास्तविक उपलब्धता मांग के अनुसार काफी कम है, जिसकी भरपाई नकली उत्पादों से हो रही है, ऐसे में राजधानी में नकली पनीर की मांग काफी ज्यादा है, खासकर राजधानी के बड़े और नामी होटलों में। राजधानी में नकली पनीर का धंधा लगातार फल-फूल रहा है। खाद्य विभाग की टीम ने पिछले एक साल में अलग-अलग स्थानों पर छापेमारी कर 15,090 किलोग्राम से अधिक नकली पनीर जब्त किया था, लेकिन कार्यवाही के नाम पर सिर्फ औपचारिकताएं निभाई गईं और जब्त पनीर का अधिकांश भाग विभागीय सांठगांठ से छोड़ दिया गया। वहीँ छोटे-से जुर्माने के बाद फैक्ट्रियों को फिर से संचालन की अनुमति मिल जाती है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जब्त किए गए पनीर में दूध की एक बूंद भी शामिल नहीं थी। वर्तमान में राजधानी की जनसँख्या 25 लाख की आबादी से पार हो चुकी है। ऐसे में मूल उत्पाद कहाँ से आयेगा, ये सोचने वाली बात है।

सिर्फ जुर्माना फिर फैक्ट्री शुरू :

खाद्य सुरक्षा अधिनियम की धारा 59 के तहत यह गंभीर अपराध है, लेकिन अधिकतर मामलों में सिर्फ कम राशि का जुर्माना लगाया जाता है। लंबे समय से यही सिलसिला जारी है छापा, जब्ती, कोर्ट में प्रकरण और कुछ दिनों बाद फैक्ट्री दोबारा शुरू। इस तरह नकली उत्पादों का खेल खाद्य विभाग की नाक के नीचे खुलेआम चल रहा है।

कई स्थानों से हजारों किलो पनीर जब्त हुआ, बीते एक वर्ष में निम्न स्थानों से बड़ी मात्रा में नकली पनीर जब्त किया :

27 नवंबर 2025 – कबीर नगर 755 किलोग्राम से अधिक

23 अगस्त 2025 – भाठागांव, शंकर नगर, बीरगांव 8,000 किलोग्राम से अधिक

31 अगस्त 2025 – भाठागांव फैक्ट्री लगभग 700 किलोग्राम

30 जुलाई 2025 – भाठागांव फैक्ट्री और रेलवे स्टेशन 1,535 किलोग्राम

29 दिसंबर 2024 – बीरगांव फैक्ट्री 2,500 किलोग्राम

19 अप्रैल 2024 – गोकुलनगर, रायपुर 1,000 किलोग्राम

इन सभी कार्यवाहियों में कुल 15,090 किलो से अधिक नकली पनीर बाजार में खपने से बचा।

दूध नहीं, रसायन से बनता ‘सफेद पदार्थ’ :

छापेमारी के दौरान फैक्ट्रियों से केमिकल टैंक, मिलिंग मशीनें, डालडा, हाइड्रोक्लोरिक एसिड, स्कीम्ड मिल्क पाउडर बरामद हुए। जांच में पता चला कि इन्हीं मिश्रणों से यह नकली पनीर बनाया जाता है, जो लोगों की सेहत के लिये काफी हानिकारक भी है। वहीँ फैक्ट्री संचालकों ने भी स्वीकार किया कि दूध का बिल्कुल उपयोग नहीं होता, सारी तैयारी केमिकल और घटिया तेल के सहारे होती है। यह स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है और फूड पॉयजनिंग, लिवर व स्किन संबंधी गंभीर बीमारियां पैदा कर सकता है। वहीँ बाज़ार में इसकी बेतहाशा मांग ने इस कारोबार को काफी बढ़ाया है।

ADM कोर्ट में औपचारिक कार्यवाही :

इस छापे के बाद फैक्ट्री सीज होती है, सैंपल जांच के लिए भेजे जाते हैं और लगभग एक महीने बाद रिपोर्ट कोर्ट भेज दी जाती है। यहां भी खाद्य धोखाधड़ी की बजाय सिर्फ परिसर में गंदगी पाए जाने का प्रकरण बनाया जाता है। परिणाम, छोटा जुर्माना और कुछ दिनों बाद फैक्ट्री फिर शुरू। टन भर नकली पनीर पकड़ा जाता है, लेकिन किसी पर भी कड़ी कार्यवाही नहीं होती। क्या ये समझा जाये कि जेब गरम करके मामले को खत्म करवा दिया जाता है?

कैसे पहचानें नकली पनीर?

  • असली पनीर सफेद/क्रीमी, नकली पनीर पीला और चमकीला।
  • असली पनीर दानेदार और मुलायम, नकली पनीर रबर जैसा चिकना।
  • असली में ताजगी की खुशबू, नकली में रासायनिक गंध।
  • पानी में डालने पर असली पनीर नहीं घुलता, नकली जल्दी गल जाता है।
  • उबाले पनीर पर आयोडीन टिंचर डालने से यदि रंग नीला हो जाए, तो वह नकली है।