रायपुर (छ.ग.)/ग्वालियर (म.प्र.) : छत्तीसगढ़ में कांग्रेसी शासन काल में तुष्टिकरण की नीति के चलते भगवान राम की कुरूप प्रतिमा स्थापित की गई थी, वहीँ उस मूर्ति को बदलने के लिये सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने लगातार पहल की है। जिसे चंद पैसों के लिये छत्तीसगढ़ सरकार नहीं लगवा रही है, जो अपने खर्चों के लिये जनता पर अनाप – शनाप टैक्स लगाती आई है। छत्तीसगढ़ के चंद्रखुरी स्थित कौशल्या माता मंदिर में एक बार फिर भगवान श्रीराम की ग्वालियर में तैयार की गई 51 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापना की कवायद तेज हो गई है। ऐसा इसलिए क्योंकि ठेकेदार द्वारा राष्ट्रपति सम्मानित मूर्तिकार दीपक विश्वकर्मा से संपर्क किया गया है। ठेकेदार ने 8 दिसंबर तक उनकी मेहनत की शेष राशि का भुगतान करने की बात दीपक विश्वकर्मा से कही है। हालांकि भुगतान के आश्वासन के बावजूद मूर्तिकार ने ठेकेदार के सामने जो शर्त रखी है उससे एक बार फिर इस मूर्ति की स्थापना में अड़चनें आ सकती है। राज्य सरकार ने 12 – 15 लाख की रकम के भुगतान को लेकर ये बखेड़ा बीते सालभर से खड़ा किया हुआ है। इस मामले को माचिस मीडिया द्वारा लगातार उठाया जा रहा है।
मुरैना जिले के शनिधाम मन्दिर में स्थापित करना तय :
दरअसल छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा श्री राम वन पथ गमन तैयार कराया जा रहा है, जहां भगवान श्री राम के वनवासी स्वरूप की मूर्ति को स्थापित किया जाना है। छत्तीसगढ़ सरकार के निर्देश पर ठेकेदार द्वारा राष्ट्रपति सम्मानित ग्वालियर के प्रसिद्ध मूर्तिकार दीपक विश्वकर्मा को भगवान श्रीराम की 51 फीट ऊंची मूर्ति निर्माण करने के निर्देश दिए गये थे। जिसके बाद ग्वालियर सेंड स्टोन आर्ट एंड क्राफ्ट सेंटर पर मूर्ति का निर्माण कार्य शुरू हुआ जो काफी समय से पूरा हो गया है। 05 महीने से यह प्रतिमा ठेकेदार के भुगतान न करने से यही रखी रही है, मूर्तिकार ने यह मूर्ति दूसरे को बेचने की बात भी कही है। ऐसे में मूर्ति के रखरखाव और मूर्तिकार की टीम द्वारा भुगतान की मांग के दबाव के बाद इस प्रतिमा को मध्यप्रदेश मुरैना जिले के शनिधाम मन्दिर में स्थापित करना तय किया गया है।
बकाया 70 लाख 08 दिसम्बर तक भुगतान की बात :
जिसके कारण छत्तीसगढ़ सरकार के श्री राम वन पथ गमन प्रोजेक्ट में और ज्यादा देरी होने की सम्भवना की स्थिति बनी है। अब इन हालात को देखते हुए मूर्तिकार दीपक विश्वकर्मा से छत्तीसगढ़ के ठेकेदार द्वारा 10 लाख का एडवांस के अलावा बकाया एमाउंट 08 दिसम्बर तक करने की बात कही है। लेकिन उन्होंने ठेकेदार के सामने शर्त रखी है कि भले ही भुगतान पूरा हो जाये पर उन्हें चंद्रखुरी स्थित कौशल्या मन्दिर में मूर्ति स्थापना की जगह पूरी तरह साफ चाहिए। ठेकेदार को बताया गया है कि मौके पर स्थापित भगवान श्रीराम की मूर्ति को हटाकर ही वनवासी स्वरूप वाली इस मूर्ति को स्थापित किया जा सकेगा। ऐसे में यदि पुरानी मूर्ति नहीं हटाई गई तो यह नई मूर्ति स्थापित होने में देरी होगी। वहीँ अगर सरकार समय से यह कार्य नहीं कर सकती है, तो यह शर्मनाक होगा।
प्रतिमा को चंदखुरी में वर्तमान में स्थापित प्रस्तावित :
स प्रतिमा को चंदखुरी में वर्तमान में स्थापित भगवान श्रीराम की प्रतिमा की जगह पर ही स्थापित किया जाना है। वर्तमान में वहां स्थापित भगवान श्रीराम की प्रतिमा का स्ट्रक्चर पूरी तरह से गलत है, जिसकी स्थापना के समय से ही लगातार विरोध किया गया था। उसके निर्माण कार्य में बहुत सारी खामियां सामने आ चुकी है। प्रतिमा के चेहरे से लेकर शरीर के आकार पर गौर किया जाए तो उसमें भगवान श्रीराम के स्वरूप की छवि ही नहीं आती है, प्रतिमा भगवान के मजाक स्वरूप में प्रतीत होती है, जो आम जनता के पैसों का दुरुपयोग है।
शिवरीनारायण और सीता रसोई में स्थापित की जा चुकी :
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा पहले भी दो मूर्तियों के ऑर्डर ग्वालियर को दिए जा चुके हैं जो कि श्रीराम वन पथ गमन के लिए शिवरीनारायण और सीता रसोई में स्थापित की जा चुकी है। उन मूर्ति के स्वरूप को देखकर ही ग्वालियर को 51 फीट ऊंची प्रतिमा का आर्डर मिला था। प्रतिमा को ग्वालियर के सेंड स्टोन से तैयार किया गया है, जो अपने आप में देश के अंदर मजबूत पत्थर के रूप में ख्याति प्राप्त है। इसकी तराशी गई प्रतिमा बहुत मजबूत और सुंदर होती है। वहीँ अब आम लोगों को इस नई प्रतिमा की स्थापना का इंतजार है।



