श्री झूलेलाल मंदिर झूलेलाल नगर चकरभाटा के संत लाल साई जी का दिव्य सत्संग समारोह पूज्य पंचायत भवन सिंधी कॉलोनी में आयोजित किया गया कार्यक्रम रात्रि 8:00 बजे आरंभ हुआ 11:00 बजे समापन हुआ संतलाल साईं जी के आगमन
पर युवा टीम के द्वारा जोरदार आतिशबाजी की गई वह फूलों की वर्षा से साई जी का स्वागत किया गया कार्यक्रम की शुरुआत भगवान झूलेलाल जी के फोटो पर पुष्प अर्पण कर दीप प्रज्वलित करके की गई इस अवसर पर रवि रूपवानी व अनील पंजवानी के द्वारा भक्ति भरे भजन गाए गए। अब जिस घड़ी का इंतजार था वह घड़ी आ गई साई जी ने अमृत वाणी से सत्संग के माध्यम से आए हुए भक्तों को निहाल किया साईं जी ने कई प्रसंग सुनाएं व 2 कथा बताएं।
सांई जी ने कहा कि जिस घर में माता-पिता हंसते हैं उस घर में भगवान बसते हैं चारों धाम की यात्रा कर लीजिए सौ बार गंगा स्नान कर लीजिए अरबों रुपए दान कर दीजिए अगर आपने अपने माता-पिता की सेवा नहीं की उन्हें दुख तकलीफ दिया तो यह सब बेकार हैं लोग कहते हैं कि मैंने अपने माता-पिता को अपने घर में रखा है यह गलत है तुम अपने माता-पिता के घर में रहते हो यह हकीकत है अगर वह नहीं होते तो आज तुम भी नहीं होते इसलिए बड़ों का सम्मान करो उन्हें आदर दो इज्जत दो
आज समाज में एक सबसे बड़ी समस्या विकट हो गई है कि घर एक तो बनते बहुत देर से हैं और टूटते बहुत जल्दी हैं इसलिए आप सभी से विनती है करोना काल के बाद जीवन हो गया छोटा इसलिए अपना समय लड़ाई झगड़े में और टूट-फूट में ना लगाएं जो झुकेगा वही आगे बढ़ेगा घर में मिलजुलकर रहे सब्र रख कर चले।
सास बहू को बेटी समझे बहू सास को मां समझे तो वह घर कभी नहीं टूटेगा साई जी ने कहा कि जो व्यक्ति अपने मन को काबू में कर लिया उसने जगजीत लिया उन्होंने एक प्रसंग के माध्यम से समझाया एक गांव में हरि नाम का एक व्यक्ति रहता था प्रतिदिन अपने गधे को लेकर जाता था और मिट्टी के बोरे भरकर शाम को वापस आता था उसकि रोजी-रोटी उसमें चलती थी एक दिन वह सुबह निकला और शाम को जैसे ही आया गधे लेकर वापस जिस जगह पर गधे को रस्सी से बांधता था वहां रस्सी नहीं थी और गधा एक जगह खड़ा नहीं हो रहा था इधर उधर भटक रहा था तब वहां से एक साधु गुजरते हैं हरिराम ने सारी कहानी अपनी बताइ साधु ने कहा यह गधा जरूर है इसको भी दिमाग है तो एक नाटक करो जैसे तुम प्रतिदिन गधे को रस्सी से बांध ते हो उसी तरह ऐसे एक्टिंग करो कि आज भी तुम रस्सी से गधे को बांध रहे हो हरि राम ने वैसे ही किया और गधा चुपचाप खड़ा हो गया दूसरे दिन सुबह जैसे ही हरी राम आया गधे को ले जाने के लिए गधा का कान पकड़ा तो गधा चलने को तैयार नहीं था गधे को लाठी मारी लात मारी और गधा वहीं का वहीं खड़ा था हरिराम को साधु की बात याद आई साधु ने तो मुझे रात को एक्टिंग करके रस्सी बांधने की बात बताई थी पर खोलने की बात नहीं बताई थी हरिराम साधु के पास पहुंचा और पूरी कहानी बताएं साधु ने कहा जैसे तुम्हें रस्सी बांधी थी वैसे ही खोल दो फिर वापस पहुंचा और फिर से गधे को, खोलने की एक्टिंग की और गधा उसके साथ चलने लगा इस कहानी का अर्थ है कि हमारा मन भी एक गधे के समान हैं इसलिए उसे काबू में करने के लिए हमें एकाग्रता में भगवान के समीप पहुंचकर ध्यान लगाना चाहिए तब आपको सही राह मिलेगी वह अंतरात्मा से आपको आगे चलने का रास्ता मिल जाएगा साईं जी ने 25 नवंबर को श्री झूलेलाल चालि हा महोत्सव आरंभ होने वाला है उसके बारे में जानकारी दी घाघर की महिमा बताएं घर घर में जाकर घाघर कैसे रखनी है उसके बारे में पूरी विधि बताइए अपनी अमृतवाणी से कई भक्ति भरे भजन गाए इसे सुनकर भक्तजन झूम उठे कार्यक्रम के आखिर में आरती की गई पल्लो पाया गया प्रसाद वितरण किया गया वह आम भंडारे का आयोजन किया गया बड़ी संख्या में भक्तजनों ने भंडारा ग्रहण किया और अपने शरीर व आत्मा को तृप्त किया इस पूरे आयोजन को सफल बनाने में बाबा गुरमुखदास सेवा समिति बिलासपुर पूज्य सिंधी पंचायत सिंधी कॉलोनी के अध्यक्ष हरीश भागवानी अजय टहिलयानी अनिल बाजाज सुनील दयाला नी महेंद्र हिंदूजा, अशोक मूलचंदानी श्याम लाल चंदानी मुकेश बजाज सुरेश दयालानी विक्की लालचंदानी रवि दयालानी, संतोष छत्री, सुनील प्रथ्यानी, लक्ष्मण पेसवानी हरीश बजाज प्रताप लालचंदानी हुंदराज सोमनी अविनाश मोटवानी राम लाल चंदानी विजय गंगवानी सन्नी लोहरानी
अज्जू लालचंदानी एवं बड़ी संख्या में युवा वर्ग के लोगों का सहयोग रहा