रायपुर : शहर में सूदखोरी का धंधा चरम पर है। इनमें ज्यादातर बगैर लाइसेंस के ब्याज पर रुपए देने का धंधा करते हैं। इतना ही नहीं लाइसेंसी मनीलेंडर (उधार देने वाले) भी नियमों को ताक पर रखकर वसूली करते हैं। ये लोग छोटे कर्मचारियों, मजदूरों, ठेला पसरा लगाने वाले लोगों की मजबूरी का फायदा उठाकर मोटे ब्याज पर कर्ज देते हैं। इसके बाद अपनी मर्जी से चक्रवृद्धि ब्याज वसूलते हैं। ये लोग कर्ज के एवज में सामान गिरवी रखते हैं और सरकारी या निजी नौकरीपेशा कर्मचारियों को उधार देकर उनके चेकबुक, पासबुक और एटीएम कार्ड रखते हैं।
ऐसा ही एक मामला रायपुर के एक पीड़ित का है, जो सिविल लाइन के सूदखोर से प्रताड़ित है :
मामला कुछ इस प्रकार है , की रायपुर का एक सेकंड हैण्ड गाड़ियों का व्यवसाय करने वाला व्यक्ति इस सूदखोर से ब्याज पर पैसे लेने गया, जहाँ उसने उस सूदखोर से 6 लाख रुपये की रकम ब्याज पर लेना स्वीकार किया, और ब्याज की दर 10 प्रतिशत तय की गई, बीते वर्षभर से ज्यादा समय तक पीड़ित ने समय-समय पर ब्याज का नियमानुसार भुगतान किया और मूल राशि भी चुकाई, 6 लाख की रकम के एवज में पीड़ित ने लगभग 14 लाख का रुपये भुगतान भी कर दिया है, उसके बावजूद वह सूदखोर पीड़ित से 14 लाख रुपये की रकम की और मांग कर रहा है, ना देने की एवज में वह पीड़ित को मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहा है, वह कहता है की मेरा बेटा आर्मी में डॉक्टर है, जिससे कानून मेरी पहुँच में है, अगर उपरोक्त रकम पीड़ित द्वारा नहीं दी जाती है तो 420 धोखाधड़ी के मामले में फंसाने और ऑटो डीलर को जान से मारने की धमकी भी दे रहा है, साथ ही ये भी कह रहा है की अगर SP को एक काल कर दूंगा तो अन्दर हो जायेगा, इस प्रकार की धमकी से परेशान होकर पीड़ित ने अपनी आपबीती मिडिया को बताई, यदि किसी कारण से तनाव में आकर पीड़ित कोई आत्मघाती कदम उठा लेता है, तो उसका जिम्मेदार वो सूदखोर होगा, उस सिविल लाइन के रहवासी सूदखोर की कई शिकायतें माचिस मिडिया को पहले भी मिल चुकी है, 20-25 से ज्यादा लोग उससे पैसा ब्याज पर लेकर परेशान है, वो भी इस मामले को लेकर नाम ना छापने की शर्त पर अपनी व्यथा माचिस मिडिया को बता चुके है, जल्द ही उस सूदखोर का नाम सार्वजनिक किया जायेगा।
ब्याज पर पैसा चलाने का क्या है नियम जाने :
ब्याज पर पैसा चलाना भी एक व्यापार के अंतर्गत आता है, और हर व्यापार का एक क़ानूनी नियम भी होता है, संविदा अधिनियम 1872 के धारा 10 के अनुसार
पहला नियम अगर आप किसी भी व्यक्ति को ब्याज पर पैसे देते हैं तो इसके लिए आपको कर्ज लेने वाले से लिखित एग्रीमेंट ले लेना चाहिए जिसमे कर्ज के रूप में लिए गए रूपये, रूपये लेने का मकसद, रूपये वापसी करने की तिथि और ब्याज दर आदि का स्पष्ट उल्लेख हो।
दूसरा नियम संविदा अधिनियम 1872 के धारा 11 के अनुसार ब्याज पर पैसा देने के नियम यह है कि आप जिस भी व्यक्ति को पैसा ब्याज पर देना चाहते हैं वह व्यक्ति वयस्क होना चाहिए। यदि कर्ज लेने वाला व्यक्ति नाबालिग पाया जाता है तो आपका पैसा शून्य माना जाएगा। जिस भी व्यक्ति को आप ब्याज पर पैसा दे रहें हैं वह नशे की स्थिति में नहीं होना चाहिये।
तीसरा नियम : संविदा अधिनियम 1872 के धारा 23 के अनुसार ब्याज पर पैसा देने के तीसरा नियम यह है कि अगर आप किसी ऐसे व्यक्ति को पैसा देते हैं जो उस पैसे से कोई अवैध काम करता है तो ऐसी स्थिति में उस अवैध काम में आपको भागीदार माना जाएगा और इसके लिए आपको दंडित भी किया जा सकता है।
क़ानूनी तौर पर 2% मासिक ब्याज से ज्यादा पैसा नहीं लिया जा सकता, इससे ज्यादा ब्याज लेना, गैर क़ानूनी है। कानूनी तौर पर 4 कर्जा एक्ट और धारा 384 के तहत पुलिस को कार्यवाही का अधिकार है।