रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में आज उनके निवास कार्यालय में कैबिनेट की बैठक शुरू हो गई है। इस बैठक में छत्तीसगढ़ लोक सेवा अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण संशोधन विधेयक 2022 के प्रस्ताव का अनुमोदन किया जाएगा। बता दें कि छत्तीसगढ़ विधानसभा का मानसून सत्र 1 दिसंबर से शुरू होने वाला है। इसमें एक व दो दिसंबर को विशेष सत्र में आरक्षण संशोधन विधेयक को पारित किया जाएगा।
सरकार के एक मंत्री ने बताया, की उच्च न्यायालय के फैसले के बाद आरक्षण मामले में जिस तरह की परिस्थितियां बनी हैं, उसको लेकर राज्य सरकार बहुत गंभीर है। तय हुआ है कि आरक्षण अधिनियम के जिन प्रावधानों को उच्च न्यायालय ने रद्द किया है, उसे कानून के जरिए फिर से प्रभावी किया जाए। इसके लिए हम विधेयक ला रहे हैं। दो दिसंबर को इसे पारित करा लिया जाएगा।
केंद्र सरकार से आग्रह किया जाएगा कि वह छत्तीसगढ़ के आरक्षण कानून को संविधान की नवीं अनुसूची में शामिल कर ले। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, अधिनियम के 9वीं अनुसूची में शामिल होने का प्रभाव यह होता है कि उसे किसी न्यायालय में चुनौती नहीं दिया जा सकता। फिलहाल यही एक रास्ता दिख रहा है जिससे आरक्षण को अविवादित रखा जा सकता है।
आरक्षण मामले में बिलासपुर हाईकोर्ट ने अनुपात बढ़ाने के औचित्य और आधार पर सवाल उठाए थे। सरकार का कहना है कि उन्होंने 2012 में बने सरजियस मिंज कमेटी और ननकीराम कंवर कमेटी की रिपोर्ट अदालत में पेश करना चाहती थी, लेकिन अदालत ने तकनीकी आधारों पर इसकी अनुमति नहीं दी।
मुख्यमंत्री भूपेश बार-बार जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण देने की बात कह रहे हैं। ऐसे में संभावना यह बन रही है कि सरकार नये आरक्षण संशोधन विधेयक में इसको शामिल करेगी। इसका मतलब यह हुआ कि अनुसूचित जनजाति को 32% और अनुसूचित जाति को 13% आरक्षण का प्रावधान होगा। करीब 50% से अधिक आबादी वाले अन्य पिछड़ा वर्ग को मंडल आयोग की सिफारिशों के मुताबिक 27% आरक्षण की भी बात है। इसके अलावा केंद्र सरकार से लागू समान्य वर्ग के गरीबों का 10% आरक्षण भी प्रभावी होगा।