निगम के टैक्स को अमीर और मध्यमवर्गीय चूपचाप जमा कर देता है, अब गरीब के पास खाने को पैसे नहीं तो, झोपड़ी का टैक्स, महल जितना कैसे पटाये?

राकेश डेंगवानी/रायपुर : किरणमयी नायक जबसे महापौर बनी तबसे निगम के संपत्ति कर में बेतहाशा वृद्धि की गई, सामान्य संपत्ति कर को जमीन की वैल्यूएशन के हिसाब से तय किया गया, जिससे शहर के बीच की प्रॉपर्टी का टैक्स बेतहाशा बढ़ गया, अमीर आदमी ने तो जमा कर दिया, पर मध्यमवर्गीय बीच मझधार में फंस गया और गरीब का तो पूछो ही मत, उसके बाद महापौर प्रमोद दुबे बने उन्होंने सफाई के नाम पर प्रतिमाह 50 रुपये का यूजर चार्ज वसूलना शुरू किया और अब महापौर एजाज ढेबर के राज में दो साल पहले संपत्ति कर के साथ ही यूजर चार्ज वसूलने लगे जिसको लेकर भारी विरोध हुआ, और उसे बाद में नहीं लिया गया , जो दे चूके थे उनका पैसा गया, फिर अगले वर्ष संपत्ति कर के साथ जमीन के निर्माण के आधार पर साथ यूजर चार्ज को तय कर बेतहाशा वसूला गया, ध्यान देने योग्य बात यह है की चुनाव के समय सरकार ने संपत्ति कर आधा करने की बात कही थी। लेकिन यूजर चार्ज के नाम पर दुगुने से ज्यादा कर वसूला जाने लगा लगा है, और यूजर चार्ज का आशय सफाई से है, जबकि सफाई व्यवस्था शहर में कैसी है, इससे आम जनता पूरी तरीके से वाकिफ है, इस बार संपत्ति कर वसूली में लोगों को ऑनलाईन टैक्स के नाम पर पुराने जमा टैक्स भी वसूले गये है, जो जागरूक थे उन्होंने जैसे-तैसे कम करवाके टैक्स जमा करवाई और जिनके पास समय की कमी थी उन लोगों ने जमा करवा दी, बढ़े हुये संपत्ति कर को जब आम आदमी कम करवाने गया तो अधिकारीयों का व्यवहार बेहद ख़राब था उन्होंने कर दाताओं को कोई सहयोग आमतौर पर नहीं किया।

आइये अब आगे क्या हो रहा है , उसे देखते है :

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रायपुर नगर निगम ने झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वालों पर बंगलों जैसा टैक्स लगाया है। इस टैक्स की राशि जानकर बस्ती वालों के होश उड़ गये है, हजारों का टैक्स देखकर यहां के लोग हैरान हैं। गरीब लोगों को 10 से 20 हजार रुपए का प्रॉपर्टी टैक्स भेजा गया है। झोपड़ियों में भी डिजिटल नंबर प्लेट लगाने के बाद इसका खुलासा हुआ है। इधर महापौर एजाज ढेबर ने कहा, जल्द इसका समाधान निकाला जाएगा। मामला चंद्रशेखर आजाद वार्ड के बृज नगर का है।

यहाँ रहने वाली अहिल्या मानिकपुरी की झोपड़ी में न तो दरवाजा है और न ऐसी छत की पूरी तरह बारिश से बचा जा सके। लेकिन उन्हें 9 हजार रूपए का टैक्स भेजा गया है। जो अहिल्या की तीन महीने की सैलरी के बराबर है। अहिल्या ने बताया कि उसको महीने भर मजदूरी करने के बाद 3 हजार रुपए मिलते हैं। ऐसे में घर-परिवार की जिम्मेदारी के बाद टैक्स की रकम भरने की चिंता सता रही है। इतनी राशि हम कहाँ से लायेंगे? उनका कहना है कि नगर निगम ने झोपड़ियों में भी डिजिटल नंबर प्लेट लगा दिया है। नया नंबर प्लेट लगने के बाद जब टैक्स की जानकारी उन्होंने ली तब रकम देखकर सबके होश उड़ गए। क्योंकि इतना टैक्स चुकाना उनके बस में नहीं है।

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यहां रहने वाली अनिता साहू और अफरोज की भी यही कहानी है। टीन के घर में रहकर गुजारा करने वाली अफरोज कहती हैं कि एक बार में इतना पैसा जमा करना उनके बस में नहीं है। इलाके में छोटी सी दुकान चलाने वाले मनोज सोनी के घर का टैक्स भी 16 हजार रूपए बताया जा रहा है। इलाके में सुविधाओं के नाम पर नाली, पानी और सड़क जैसी बुनियादी सुविधाएं भी नहीं है। लेकिन इतना भारी-भरकम टैक्स देना इन गरीब परिवारों के लिए परेशानी का सबब बन गया है। जितना मासिक तौर पर कमा नहीं रहे है, उससे ज्यादा टैक्स भरने का फरमान है , क्या करें?

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इस इलाके में रहने वाले कई परिवार हैं। जिनके घरों में 20 हजार रूपए तक का टैक्स भेजा गया है। स्थानीय लोगों कहना है कि टैक्स देने में उन्हें कोई आपत्ति नहीं है लेकिन एक साथ इतना टैक्स जमा कर पाना संभव नहीं है। कम से कम इतनी रियायत मिलनी चाहिए कि थोड़ा-थोड़ा करके वे टैक्स जमा कर सकें। इसके अलावा बुनियादी सुविधाओं की भी दरकार है। हमें भले ही छूट न मिले लेकिन सुविधाजनक तौर पर थोड़ा – थोड़ा करके कर सकें।

स्थानीय लोगों का ये भी कहना है कि डिजिटल नंबर लगने के बाद ही पहली बार टैक्स जमा करने को कहा गया है। इससे पहले उन्होंने खुद यहां का टैक्स लेने की अपील की थी, लेकिन निगम अधिकारियों ने रिकॉर्ड में नहीं होने की वजह से उनसे टैक्स नहीं वसूला। और अब एक साथ इतनी रकम जमा कर पाना उनके लिए संभव नहीं है।

महापौर ने क्या कहा :

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इस पूरे मामले पर रायपुर महापौर एजाज ढेबर ने कहा कि डिजिटल नंबर प्लेट लगने के बाद की गलती है या फिर पिछला टैक्स ये सारी चीजें निगम अधिकारियों द्वारा चेक की जाएगी। ढेबर ने कहा कि अधिकारियों को वार्ड में भेजकर इसका समाधान निकाला जाएगा।