बॉलीवुड : मनोज मुंतशिर गायक लेखक, कवि, डायलॉग राइटर और स्क्रीन राइटर हैं। उनका असली नाम मनोज शुक्ला है। एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने बताया था कि किस तरह उन्होंने अपना नाम मनोज शुक्ला से मनोज मुंतशिर किया। उन्होंने बताया था कि 1997 के दौरान देर रात वह चाय की एक टपरी पर पहुंचे थे। वहां रेडियो बज रहा था और उन्होंने पहली बार मुंतशिर शब्द सुना था। उन्हें यह शब्द बेहद पसंद आया, जिसके बाद उन्होंने इस शब्द को अपने नाम के आगे जोड़ने का मन बना लिया। मुंतशिर यह एक उर्दू शब्द है।
फिल्म ‘आदिपुरुष’ को लेकर बवाल मचा हुआ है, इस फिल्म को लेकर सभी अपनी – अपनी रोटियां सेंक रहे है, हिंदूवादियों की चुप्पी पर सवाल है, और कांग्रेसी कह रहे है, जनता की मांग आयेगी तो फिल्म को बैन करेंगे , अगर समझ रहे हो तो फिल्म को सीधा बैन करो, जनता और कैसे शिकायत करे ? वो तो सोशल मिडिया पर लगातार कर ही रही है, मिडिया में फर्जी आंकड़े चलाये जा रहे है, की फिल्म ने दो दिन में ही 100 करोड़ कमा लिये, अगर कमा लिये तो भाई गालियाँ खाओ और फिल्म चूपचाप चलने दो , मकसद तो कमाने से है, धर्म की भले ही बैंड बज जाये।
विरोध में है दर्शक :
सोशल मीडिया पर फिल्म के डायलॉग और सीन्स को लेकर बवाल मचा हुआ है। लोग फिल्म के निगेटिव रिव्यू दे रहे हैं। इसी बीच कई बड़े स्टार्स भी ‘आदिपुरुष’ के मेकर्स की क्लास लगाने के लिए तैयार हो गए हैं। अब ऐसे में फिल्म के स्क्रिप्ट राइटर मनोज मुंतशिर ने बड़ा ऐलान कर दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट साझा कर कहा कि फिल्म के डायलॉग एक हफ्ते के अंदर फिल्म मेकर्स ने बदलने का फैसला लिया है।
मनोज मुंतशिर ने दी सफाई
मनोज मुंतशिर ने अपने ट्वीट मे लिखा, ‘रामकथा से पहला पाठ जो कोई सीख सकता है, वो है हर भावना का सम्मान करना। सही या ग़लत, समय के अनुसार बदल जाता है, भावना रह जाती है। आदिपुरुष में 4000 से भी ज्यादा पंक्तियों के संवाद मैंने लिखे, 5 पंक्तियों पर कुछ भावनाएं आहत हुईं। उन सैकड़ों पंक्तियों में जहां श्री राम का यशगान किया, मां सीता के सतीत्व का वर्णन किया, उनके लिए प्रशंसा भी मिलनी थी, जो पता नहीं क्यों मिली नहीं।’ मनोज मुंतशिर ने आगे लिखा, ‘मेरे ही भाइयों ने मेरे लिये सोशल मीडिया पर अशोभनीय शब्द लिखे। वही मेरे अपने, जिनकी पूज्य माताओं के लिए मैंने टीवी पर अनेकों बार कवितायें पढ़ीं, उन्होंने मेरी ही माँ को अभद्र शब्दों से संबोधित किया। मैं सोचता रहा, मतभेद तो हो सकता है, लेकिन मेरे भाइयों में अचानक इतनी कड़वाहट कहाँ से आ गई कि वो श्री राम का दर्शन भूल गये जो हर माँ को अपनी माँ मानते थे। शबरी के चरणों में ऐसे बैठे, जैसे कौशल्या के चरणों में बैठे हों। हो सकता है, 3 घंटे की फ़िल्म में मैंने 3 मिनट कुछ आपकी कल्पना से अलग लिख दिया हो, लेकिन आपने मेरे मस्तक पर सनातन-द्रोही लिखने में इतनी जल्दबाज़ी क्यों की, मैं जान नहीं पाया।’
सनातन सेवा के लिए बनाई है ‘आदिपुरुष’
उन्होंने इसी ट्वीट में आगे लिखा, ‘क्या आपने ‘जय श्री राम’ गीत नहीं सुना, ‘शिवोहम’ नहीं सुना, ‘राम सिया राम’ नहीं सुना? आदिपुरुष में सनातन की ये स्तुतियां भी तो मेरी ही लेखनी से जन्मी हैं। ‘तेरी मिट्टी’ और ‘देश मेरे ’भी तो मैंने ही लिखा है। मुझे आपसे कोई शिकायत नहीं है, आप मेरे अपने थे, हैं और रहेंगे। हम एक दूसरे के विरुद्ध खड़े हो गये तो सनातन हार जायेगा। हमने आदिपुरुष सनातन सेवा के लिए बनायी है, जो आप भारी संख्या में देख रहे हैं और मुझे विश्वास है आगे भी देखेंगे।’ मनोज मुंतशिर ने आगे लिखा, ‘ये पोस्ट क्यों? क्योंकि मेरे लिये आपकी भावना से बढ़ के और कुछ नहीं है।मैं अपने संवादों के पक्ष में अनगिनत तर्क दे सकता हूँ, लेकिन इस से आपकी पीड़ा कम नहीं होगी। मैंने और फिल्म के निर्माता-निर्देशक ने निर्णय लिया है, कि वो कुछ संवाद जो आपको आहत कर रहे हैं, हम उन्हें संशोधित करेंगे, और इसी सप्ताह वो फ़िल्म में शामिल किए जाएंगे। श्री राम आप सब पर कृपा करें!’