नई दिल्ली : केंद्र सरकार के एजेंडे में समान नागरिक कानून (UCC) रहा है, जिसको लेकर मोदी सरकार द्वारा प्रस्तावित समान नागरिक संहिता पूरे देश में लागू करने के लिए जो तैयारियां की जा रही है। जय तौर पर इसका सीधा असर 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले 2023 के विधानसभा चुनाव पर भी पड़ेगा। भाजपा के तीन मुख्य एजेंडा अयोध्या में प्रभु श्री राम का मंदिर निर्माण और कश्मीर में धारा 370 की समाप्ति के अलावा समान नागरिक संहिता शामिल रहा है, जिसमें समान नागरिक कानून का अभी तक कुछ भी नहीं हो पाया है। अब शुरू के 2 एजेंडे पर तो भाजपा में सफलता प्राप्त कर ली लेकिन तीसरे एजेंडे को लागू करवाने की लगभग पूरी तैयारी की जा चुकी है !
यहां गहराई से समझना होगा कि मोदी सरकार द्वारा समान नागरिक संहिता यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) का सीधा फायदा खासकर मुस्लिम महिलाओं को होगा। इस मुद्दे पर धर्म निरपेक्षता की राजनीति करने वाली पार्टियों का विरोध और सोशल मीडिया में बहुसंख्यकों का समर्थन मिलना शुरू हो गया है। लोगों के सुझावों और लॉ कमीशन की सिफारिश के आधार पर जो धारणा तय हुई है उससे स्पष्ट हो रहा है कि यूसीसी से लोगों पर 13 प्रकार से प्रभाव पड़ेगा।
1. शादी की उम्र: यूसीसी के टेम्पलेट में सभी धर्मों की लड़कियों की विवाह योग्य उम्र एक समान करने का प्रस्ताव है। अभी कई धर्मों के पर्सनल लॉ और कई अनुसूचित जनजातियों में लड़कियों की विवाह की उम्र 18 से कम है। अगर यूसीसी लागू होता है तो सभी लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ जाएगी, जिससे वे विवाह से पहले ग्रेजुएशन कर सकें। इससे लड़कियों के शिक्षा के स्तर में सुधर होगा।
2. विवाह रजिस्ट्रेशन अनिवार्य: भारत में हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन व कई अन्य धर्मों में रीति-रिवाज से होने वाले विवाह को रजिस्टर्ड कराना अभी अनिवार्य नहीं है। लोग तभी रजिस्ट्रेशन कराते हैं, जब उन्हें पति-पत्नी के रूप में विदेश में जाना हो। यूसीसी में सुझाव है कि सभी धर्मों में विवाह का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा। इसके बिना सरकारी सुविधा का लाभ नहीं दिया जाएगा। इसको लेकर हमारे देश के नागरिक जागरूक नहीं है।
3. बहुविवाह पर रोक: मौजूदा समय में कई धर्म और समुदाय के पर्सनल लॉ बहुविवाह को मान्यता देते हैं। खासतौर पर मुस्लिम समुदाय में तीन विवाह करने की अनुमति है। यूसीसी के लागू होने पर बहु-विवाह पर पूरी तरह से रोक लग जाएगी। जिससे जनसंख्या नियंत्रण में सहायता मिलने की संभावना है, आज जनसँख्या में भारत दुनिया में पहले नंबर पर है।
4. हलाला और इद्दत खत्म- मुस्लिम पर्सनल लॉ में तलाक के बाद अगर पति-पत्नी फिर से विवाह कर साथ रहना चाहें, तो मुस्लिम महिलाओं को हलाला और इद्दत जैसी प्रक्रियाओं से गुजरना होता है। यूसीसी के सुझावों को अगर कानून बनाकर लागू किया गया तो यह सब खत्म हो जाएगा। इन कानूनों की बाध्यता नहीं रहेगी। हर आदमी स्वतंत्र व्यवहार कर सकेगा।
5. तलाक के नियम : तलाक लेने के लिए पत्नी व पति के बीच कई ऐसे आधार हैं, जो दोनों के लिए अलग-अलग हैं। यूसीसी में सुझाव है कि पति व पत्नी के लिए तलाक के समान आधार लागू होने चाहिए। दोनों को बराबर अधिकार मिलेगा।
6. भरण-पोषण : पति की मौत के बाद मुआवजा राशि मिलने के बाद पत्नी दूसरा विवाह कर लेती है और मृतक के माता-पिता बेसहारा रह जाते हैं। यूसीसी का सुझाव है कि अगर मुआवजा विधवा पत्नी को दिया जाता है, तो बूढ़े सास-ससुर के भरण पोषण की जिम्मेदारी भी उस पर होगी। अगर वह दूसरा विवाह करती है तो मुआवजा मृतक के बूढ़े माता-पिता को दिया जाएगा।
7. सास-ससुर की देखरेख : अगर पत्नी की मौत हो जाती है और सास-ससुर की देखभाल करने वाला कोई नहीं हो तो उनकी जिम्मेदारी व्यक्ति को उठानी होगी।
8. गोद लेने का अधिकार : कुछ धर्मों के पर्सनल लॉ अभी देश में महिलाओं को बच्चा गोद लेने से रोकते हैं। यूसीसी के कानून बनने से मुस्लिम महिलाओं को भी बच्चा गोद लेने का अधिकार मिल जाएगा।
9. बच्चों की देखरेख: माता-पिता की मौत के बाद कई लालची रिश्तेदार बच्चों के अभिभावक बन जाते हैं। वे संपत्ति हड़पकर बच्चों की बेसहारा छोड़ देते हैं। यूसीसी में सुझाव है कि अनाथ बच्चों की गार्जियनशिप की प्रक्रिया को आसान व मजबूत बनाया जाए।
10. उत्तराधिकार कानून: कई धर्मों में लड़कियों को संपत्ति में बराबर का अधिकार हासिल नहीं है। यूसीसी में सभी को समान अधिकार का सुझाव है। अगर पारसी लड़की गैर पारसी से विवाह करती है तो उससे सभी संपत्ति व अन्य हक छीन लिए जाते हैं। हिंदू लड़कियों को संपत्ति में बराबर की हिस्सेदारी मिलेगी। अन्य धर्मों में उत्तराधिकार कानूनों में बदलाव होगा।
11. जनसंख्या नियंत्रण : यूसीसी में जनसंख्या नियंत्रण का भी सुझाव है। भारत में बच्चों की संख्या के संदर्भ में कोई कानून नहीं है। कुछ धर्मों के पर्सनल लॉ बोर्ड बच्चों की संख्या सीमित करने का विरोध करते हैं। यूसीसी का सुझाव है कि बच्चे पैदा करने की संख्या सीमित की जाए। नियम तोड़ने पर सरकारी सुविधाओं के लाभ से वंचित किया जाए, जिससे कि जनसंख्या विस्फोट को रोका जा सकता है। जनसँख्या विस्फोट राष्ट्र की उन्नति में रूकावट है।
12. बच्चों की कस्टडी: यूसीसी ड्राफ्ट में सुझाव यह भी है कि अगर पति-पत्नी के बीच बच्चों की कस्टडी को लेकर झगड़ा चल रहा है तो बच्चों की कस्टडी दादा-दादी या नाना-नानी को दी जाए। बच्चा पति-पत्नी के पास नहीं रहेगा।
13. लिव-इन रिलेशनशिप: अभी देश में लिव-इन रिलेशनशिप अपराध नहीं है। लेकिन यूसीसी के टेम्पलेट में इसके रेगुलेशन का सुझाव है। अगर यूसीसी कानून बनता है तो लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वालों को इसका डिक्लेरेशन करना अनिवार्य होगा। इसकी सूचना लड़के और लड़की दोनों के माता-पिता को भी दी जाएगी।