नागपुर में एक चौक को “नंगा पुतला चौक” के नाम से जाना जाता है, इस चौक का यह नाम इसलिये पड़ा……….।

नागपुर/महाराष्ट्र : कभी – कभी कुछ ऐसे वाक्ये सामने आ जाते है , जिसे सुनकर सहसा विश्वास नहीं होता, ऐसा ही एक मामला है, महाराष्ट्र के नागपुर का, जहाँ एक चौक को नंगा पुतला चौक के नाम से जाना जाता है, आइये जानते है इसके पीछे का क्या रहस्य है? विचारणीय तथ्य है की नंगा पुतला चौक का निर्माण एक बच्चे की दुर्घटना में मृत्यु होने के कारण बनाया गया था। प्राप्त जानकारी के अनुसार 7 नवंबर 1971 को धारस्कर रोड परिसर में रहनेवाले जयकुमार जैन के परिवार में एक बच्चे का जन्म हुआ था। 9 नवंबर को सुबह करीब 10 बजे परिजन अपने साथ 5 साल के बेटे मुन्ना को लेकर डागा अस्पताल गए। वहां से लौटते वक्त होलसेल क्लॉथ मार्केट के सामने सिटी बस ने मुन्ना को अपनी चपेट में लेकर काल का ग्रास बना डाला। उस समय गांधीबाग से मेडिकल और अन्य मार्गों के लिए पोस्ट ऑफिस के सामनेवाले मार्ग से बसें जाती थी। आगे बनारसी होटल के पास से पलटती थी। तब आज की तरह अतिक्रमण और व्यस्त यातयात नहीं था, सडकों पर भीड़ भी आज की अपेक्षा काफी कम रहती थी। इस दर्दनाक हादसे के बाद यहां से बसों के गुजरने पर रोक लगा दी गई थी। डागा अस्पताल में जिस बच्चे का जन्म हुआ था वह 47 साल का हो चुका है। इसका नाम अनुराग जैन है। मृतक इसका सगा भाई था।

ऐसे पड़ा नाम नंगा पुतला चौक :

इस घटना के बाद इस मार्ग से बसें बंद होने के पश्चात् क्षेत्र के तत्कालीन पार्षद वल्लभदास डागा ने प्रयास कर मनपा के सहयोग से बालक की याद में चौराहा बनाया। 20 दिसंबर 1980 को इसका विधिवत उद्घाटन हुआ था। पपू स्वामी वृजेशकुमार, गीता मंदिर के स्वामी दर्शनानंदजी, मप्र के साहित्यरत्न मदनलाल जोशी, उपनिगमायुक्त ए.एन. गुप्ते, पार्षद वल्लभदास डागा प्रमुखता से उपस्थित थे। उस समय इस चौराहे का नाम ब्रह्म माया संयाेग रखा गया था। बाद में इसी चौराहे को वल्लभाचार्य चौक नाम दिया गया। कुछ लाेग आज भी इसी नाम से इस चौराहे को जानते हैं। चौराहे पर लगी प्रतिमा निर्वस्त्र होने से आम लोगों ने इसे नंगा पुतला चौक कहना शुरू कर दिया। वर्तमान मे यह चौक इसी नाम से जाना जाता है। जबकि अब यहां वल्लभाचार्य चौक के नाम की पट्टिका लगाईं जा चूकी है। इस चौराहे के निर्माण के कल्पनाकार की कल्पना प्रशंसनीय है। सबसे नीचे का हिस्सा यानी तल को कमल के पत्तियों का आकार दिया गया है।

इसके ऊपर एक हाथ महिला का और एक हाथ पुरुष का बनाया गया है। इन दोनों हाथों के बीच मुस्कुराता निर्वस्त्र बालक अपना सीधा हाथ ऊपर उठाए मानों सबको अलविदा कर रहा है। बच्चे के बाएं पैर के पास एक छोटा ब्रह्मकमल बनाया गया है। इसके भीतर फव्वारा लगा है। एक दौर ऐसा था कि यहां के रंगीन फव्वारे और रखरखाव लोगों के आकर्षण का केंद्र थे। समय के साथ यह बदहाली का शिकार हो गए थे। एक खास बात और है कई बार इस पुतले को चड्डी भी पहनाई गई है, आज जब लोग इस चौराहे के नाम को सुनते है तो वो हैरान हो जाते है और कौतुहलवश वो इसके बारे में जानना चाहते है।