फर्जी जाति प्रमाण पत्र : पीड़ितों ने “निर्वस्त्र” होकर किया प्रदर्शन, इनका दर्द वास्तविक या फिर राजनीति से प्रेरित?

रायपुर : छत्तीसगढ़ राज्य के इतिहास में ऐसा नजारा कभी नहीं देखा गया था, जैसा कि आज सुबह सड्डू की ओर से विधानसभा के मार्ग पर देखने को मिला। दर्जनों युवा बिलकुल पूरे नग्न होकर हाथ में तख्तियां लिए दौड़ते हुए विधानसभा की ओर जा रहे थे। सड़क पर राहगीर उन्हें देखकर अचंभित थे। राहगीरों में महिलाएं, युवतियां और बच्चियां भी रही होंगी। सोचिए जरा वे क्या महसूस कर रही होंगी। क्या यही छत्तीसगढ़िया संस्कृति है ?

आखिर युवा इतने पीड़ित कैसे हो गए कि उन्हें शर्म लिहाज को ताक पर धरना पड़ गया। क्या सच में इन युवाओं का हक मारा गया है? क्या ये प्रदर्शनकारी वाकई उन लोगों की वजह से सरकारी नौकरियों से वंचित हैं, जिन्होंने फर्जी जाति प्रमाण पत्र के जरिए नौकरी हासिल कर रखी है। सवाल यह भी उठता है कि, साबित होने के बावजूद कि, उनके प्रमाण पत्र फर्जी हैं, बावजूद इसके कि, सरकारी आदेश उन्हें निकाल बाहर करने का जारी हो चूका है, वे कैसे नौकरियों में बने हुए हैं। आखिर कौन उन्हें संरक्षण दे रहा है। ऐसे लोगों की संख्या दो-चार नहीं बल्कि 267 है। और यह सरकारी आंकड़ा है

छत्‍तीसगढ़ में फर्जी जाति प्रमाण पत्र के सहारे सरकारी नौकरी मामले में अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग के आंदोलित युवाओं का गुस्‍सा मंगलवार को भड़क गया। बड़ी संख्‍या में अनुसूचित जाति जनजाति के आंदोलित युवाओं निर्वस्त्र होकर प्रदर्शन किया। फर्जी जाति प्रमाण पत्र मामले में आरोपियों को सरकारी संरक्षण देने के खिलाफ तथा उनपर कठोर कार्यवाही की मांग को लेकर प्रदर्शन के लिए विधानसभा की ओर कूच कर रहे थे। इसी दौरान पुलिस ने नग्‍न प्रदर्शन कर रहे एससी-एसटी वर्ग के युवाओं को गिरफ्तार कर लिया।

कौन और क्यों कर रहें निर्वस्त्र प्रदर्शन :

फर्जी जाति प्रमाण पत्र के मामले में छत्तीसगढ़ सरकार के कार्यवाही से अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के युवा अब सरकार से नाराज है। मसलन जिस फर्जी जाति प्रकरणों की जांच सरकार ने करवाई उसमें पाये गए दोषियों के खिलाफ सरकारी फरमान के बावजूद तीन वर्ष बाद भी कार्यवाही नहीं की गई। वहीं फर्जी जाति प्रमाण पत्र धारकों को महत्वपूर्ण पदों में व प्रमोशन दिया जा रहा है। इससे अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग के युवा आंदोलित हो गए है, इसे लेकर अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग के युवाओं ने मोर्चा खोल दिया और पिछले दिनों वे आमरण अनशन पर बैठ गए। प्रदर्शन के दौरान आंदोलनकारी के तबीयत बिगड़ गई लेकिन सरकार और प्रशासन का रवैया उदासीन रहा जिसके बाद आंदोलनकारी आमरण अनशन को स्थगित कर आगामी होने वाले मानसून विधानसभा सत्र में निर्वस्त्र होकर प्रदर्शन करने जा रहे हैं। उनके इस प्रकार के प्रदर्शन को लेकर शहर भर में चर्चायें शुरू हो गई।

फर्जी जाति प्रमाण पत्र के जरिए सरकारी नौकरी :

छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद से राज्य के विभिन्न विभागों को शिकायतें मिली थी कि, गैर आरक्षित वर्ग के लोग आरक्षित वर्ग के कोटे का शासकीय नौकरियों एवं राजनैतिक क्षेत्रों में लाभ उठा रहे हैं। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए छत्‍तीसगढ़ सरकार ने उच्च स्तरीय जाति छानबीन समिति गठित की थी जिसके रिर्पोट के आधार पर सामान्य प्रशासन विभाग ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र के सहारे नौकरी कर रहे अधिकारी कर्मचारियों को महत्वपूर्ण पदों से तत्काल हटाकर उन्हे बर्खास्त करने के आदेश जारी कर दिए।

आदेश खानापूर्ति ही साबित हुए सरकारी आदेश को पालन में नहीं लाया गया और फर्जी जाति प्रमाण पत्र के सहारे नौकरी करने वाले कुछ सेवानिवृत हो गए तो कुछ ने जांच समिति के रिर्पोट को कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन सामान्य प्रशासन की ओर से जारी फर्जी प्रमाण पत्र धारकों की लिस्ट में ऐसे अधिकांश लोग है जो सरकारी फरमान के पालन नहीं होने का मौज काट रहे और प्रमोशन लेकर मलाईदार पदों में सेवायें दे रहे है।

सरकार की गठित समिति ने पाये 267 प्रकरण फर्जी :

छत्तीसगढ़ सरकार ने मामले को गम्भीरता से लेते हुए फर्जी जाति प्रमाण पत्र के शिकायतों की जांच करने उच्च स्तरीय जाति छानबींन समिति का गठन किया। समिति को वर्ष 2000 से लेकर 2020 तक के कुल 758 प्रकरण मिले जिसमें से 659 प्रकरणों में जांच की गई इसमें 267 प्रकरणों में जाति प्रमाण पत्र फर्जी पाये गए। उनके निराकरण को लेकर सरकार सजग है।

गैर आरक्षित होकर कोटे से बने IAS से लेकर चपरासी :

छत्तीसगढ़ के लगभग सभी सरकारी विभागो में फर्जी जाति प्रमाण पत्र के प्रकरण पाए गए है। इसमें सबसे अधिक खेल एवं युवा कल्याण विभाग में 44 मामले है। वहीं भिलाई स्पात संयंत्र में 18 तथा सामान्य प्रशासन विभाग एवं कृषि विभाग में 14-14 प्रकरण है। इस तरह प्रत्येक विभाग में फर्जी जाति प्रमाण पत्र के मामले है। जिसकी जांच पूरी होने एवं कार्यवाही के सरकारी आदेश के बाद भी कोई एक्शन नहीं लिया गया है।

सरकार कों नींद से जगाने का काम करेंगे :

आंदोलन के नेतृत्वकर्ता विनय कौशल ने बताया उन्होंने इससे पूर्व जिम्मेदार अधिकारियों से बात की थी, उन्‍होंने ऊपर से दबाव होने की बात कही, हमने कार्यवाही न करने पर आंदोनल की चेतावनी दी और हमने 16 मई को आमरण अनशन किया था, 10 दिनों तक भूखे रहकर आंदोलन किया हमारे आंदोलनकारी युवा साथी एक-एक कर गंभीर हालातों में अस्पताल भर्ती कराये गए लेकिन सरकार और प्रशासन की ओर से इस मामले में उदासीन रवैया रहा। हमने आमरण अनशन को स्थगित कर दिया लेकिन हम अपने हक और अधिकार के लिए किसी भी हद तक जा सकते है। हम अपने स्वाभिमान से समझौता नहीं कर सकते इसलिए हम अपनी इज्जत खोकर पूर्ण रूप से निर्वस्त्र होकर सरकार कों नींद से जगाने का काम करेंगे।

प्रदर्शन का सबको अधिकार, मगर ऐसी अश्लीलता उचित नहीं : डहरिया

छत्तीसगढ़ में ऐसा भोंडा प्रदर्शन हो, तो उस पर सियासत भी लाजिमी है। सबसे पहले सत्ता पक्ष की ओर से मोर्चा संभाला मंत्री शिव डहरिया ने। उन्होंने कहा कि, लोकतंत्र में प्रदर्शन का अधिकार सबके पास है, मगर अश्लील तरह का काम उचित नहीं है। जनता को चाहिए कि वह उचित फोरम में अपनी बात रखे। उन्होंने कहा कि, फर्जी नियुक्ति का मामला पिछली सरकार का है, इस पर कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने कहा कि, इसमें से बहुत सारे मामलों में स्टे लगा हुआ है। जिन मामलों में स्टे है उसमें तुरंत कार्यवाही नहीं की जा सकती है।