आंध्र प्रदेश : राज्य के वक्फ बोर्ड द्वारा अहमदिया मुस्लिम को ‘काफिर’ करार देने के बाद इस मुस्लिम समाज में काफी गुस्सा है। इस वर्ष 3 फरवरी से आंध्र प्रदेश वक्फ बोर्ड द्वारा अहमदिया मुस्लिमों को इस्लाम धर्म का हिस्सा नहीं माना गया। इस विवाद पर केंद्र ने यह स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी राज्य के वक्फ बोर्ड को मुसलमानों में अहमदिया संप्रदाय से आने वाले लोगों को ‘काफिर’ या गैर-मुस्लिम कहने का अधिकार नहीं है। साथ ही उनकी मस्जिदों को वक्फ से अलग वाली संपत्ति घोषित नहीं कर सकते हैं। देवबंदी मौलवियों के संगठन जमायतुल उलेमा द्वारा जारी फतवे के आधार पर आंध्र प्रदेश वक्फ बोर्ड द्वारा पारित प्रस्ताव के खिलाफ अहमदिया मुसलमानों द्वारा किये गए विरोध प्रदर्शन के बाद केंद्र सरकार का बयान सामने आया है। इस प्रस्ताव में सबसे बड़ी बात यह थी की उन्हें गैर मुस्लिम करार दिया गया था, जिसको लेकर अहमदिया मुसलमान तनाव में आ गये है।
इस पर अधिकारीयों का क्या कहना है :
जब आंध्र प्रदेश वक्फ द्वारा दिए गए बयान के बाद मुद्दा गरमाया और अहमदिया मुस्लिमों द्वारा इसका विरोश होना शुरू हुआ तो अधिकारियों ने कहा कि अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने आंध्र प्रदेश के मुख्य सचिव को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में कहा है कि आप राज्य सरकार के निकाय हैं। आपके पास ऐसे निर्देशों को जारी करने का कोई अधिकार नहीं है। मंत्रालय की ओर से स्पष्ट जवाब दिया गया कि आंध्र प्रदेश वक्फ बोर्ड का प्रस्ताव से पता चलता है कि वो बड़े पैमाने पर अहमदिया समुदाय को घृणा की दृष्टि से देखता है। वक्फ बोर्ड के पास अहमदिया सहित किसी भी समुदाय की धार्मिक पहचान निर्धारित करने का कोई अधिकार नहीं है। यह पूर्णतया अनुचित है।
केंद्र सरकार ने मुख्य सचिव से जवाब मांगा :
यह मुद्दा गर्माने पर केंद्र सरकार ने त्वरित कार्यवाही करते हुए राज्य के मुख्य सचिव को इस मामले में दखल देने और जल्द से जल्द एक रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है साथ में अधिकारियों को आगाह किया है कि इस मामले का पूरे देश का माहौल बिगड़ सकता है। केंद्र सरकार ने यह भी बताया है कि वक्फ अधिनियम 1995 मुख्य रूप से भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रशासन और प्रबंधन के लिए एक कानून है। राज्य वक्फ बोर्डों को इस प्रकार की कोई घोषणा करने के लिए कोई शक्ति नहीं देता है। वक्फ के पास इस प्रकार का कोई अधिकार नहीं है।
केंद्र सरकार से गुहार करने पहुंचे थे अहमदिया मुसलमान
काफिर करार देने वाले बयान के बाद अहमदिया समुदाय का एक प्रतिनिधिमंडल केंद्रीय मंत्रालय पहुंचा। जिसमें उन्होंने कहा- “कुछ राज्यों में वक्फ बोर्ड अहमदिया मुसलमानों का विरोध कर रहे हैं और अवैध प्रस्ताव पारित कर रहे हैं।” उन्होंने फरवरी में जारी आंध्र प्रदेश वक्फ बोर्ड के एक प्रस्ताव का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश वक्फ बोर्ड ने एक प्रस्ताव पारित कर समूचे अहमदिया को ‘गैर-मुस्लिम’ घोषित कर दिया, जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। इस फरमान से अहमदिया मुसलमान अधर में आ गये है।
अहमदिया को वक्फ ने काफिर घोषित किया था :
मामले में अंतरिम आदेश पारित करते हुए प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के आदेशों के बावजूद आंध्र प्रदेश वक्फ बोर्ड ने अपने अध्यक्ष के हस्ताक्षर के साथ एक घोषणा की है, जिसमें कहा गया है कि जमीअतुल उलेमा के ‘फतवे’ के परिणामस्वरूप क्वाडियन समुदाय को ‘काफिर’ घोषित किया जाता है। इस फतवे के जरिए वक्फ बोर्ड अहमदिया मुसलमानों को इस्लाम का हिस्सा मानने से इनकार कर दिया। उनका कहाँ हा की अहमदिया मुस्लमान की श्रेणी में नहीं आते। दरअसल, वक्फ बोर्ड ने इस साल फरवरी, 2023 में एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें कहा गया कि “जमीयत उलेमा, आंध्र प्रदेश के 26 मई, 2009 के फतवे के परिणामस्वरूप, ‘कादियानी समुदाय’ (अहमदिया) को ‘काफिर’ घोषित किया जाता है, इन्हें मुस्लिम नहीं माना जाएगा“।