रायपुर : मुंगेली निवासी उमा तिवारी को भारतीय जीवन बीमा निगम(एलआइसी) द्वारा एजेंसी दी गई थी, लेकिन उसका पुत्र भवानी शंकर तिवारी बिना अनुमति के फर्जी तरीके से बीमा एजेंट का काम करता था। वो लोगों से पैसे लेने के बाद जमा नहीं करता था, जिसको लेकर भारतीय जीवन बीमा निगम के हितग्राहियों का 22 लाख 81 हजार 705 रुपए गबन करने वाले बीमा एजेंट भवानी शंकर तिवारी को कोर्ट ने तीन वर्ष की कैद और 2.60 लाख रुपए के अर्थदंड से दंडित किया गया है। अर्थदंड की राशि नहीं देने पर आरोपी को छह माह का अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी।
सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक रजत कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि मुंगेली निवासी उमा तिवारी को भारतीय जीवन बीमा निगम(एलआइसी) द्वारा एजेंसी दी गई थी, लेकिन उसका पुत्र भवानी शंकर तिवारी बिना अनुमति के फर्जी तरीके से बीमा एजेंट का काम करता था। हितग्राहियों से बीमा प्रीमियम का पैसा लेने के बाद वह खर्च कर देता था। यह सिलसिला 2010 से 2012 के बीच चलता रहा। उसने लगभग 23 लाख रुपये का गबन किया है।
किश्त की रकम और प्रीमियम की राशि 22.81 लाख रूपये जमा नहीं होने पर नोटिस जारी होने पर इसकी जानकारी हितग्राहियों और बीमा कंपनी को हुई। इसकी सूचना मिलने पर सीबीआई ने 20 मार्च 2015 को मामले में FIR दर्ज किया। इस पूरे प्रकरण की जांच करने के बाद 29 दिसंबर 2017 को आरोपी के खिलाफ कोर्ट में चालान पेश किया गया।12 मार्च 2018 को आरोप तय होने के बाद सीबीआई कोर्ट में इसकी सुनवाई शुरू हुई। आखिरकार कोर्ट ने आरोपी के खिलाफ पेश किए गए ठोस सुबूत और गवाहों के बयान के आधार पर सजा सुनाई है।