मोदी की गारंटी पूरी करने के लिये चाहिये 50 हजार करोड़, जबकि राज्य पर वर्तमान में है 82 हजार करोड़ से ज्यादा का कर्ज, क्या जनता पर फिर पड़ेगा महंगाई का बोझ?

रायपुर : सत्ता बदलने के बाद राज्य की दशा और दिशा बदल जाती है, आम आदमी के जीवन को ये बहुत प्रभावित भी करती है, जहाँ भूपेश सरकार ने आम आदमी को राहत देने के लिये विविध योजनायें शुरू की थी, वहीँ उनके सत्ता में आने के पूर्व भी कई योजनायें चल रही थी, 2018 में छत्तीसगढ़ से जब भाजपा की सत्ता की विदाई हुई थी, उस समय लगभग राज्य पर 5000 करोड़ रूपये का कर्जा था, जो भूपेश सरकार में बढकर 82 हजार करोड़ से ज्यादा हो गया। ये सब हुआ था योजनाओं को पूरा करने के लिये। इधर जहाँ आधा बिजली बिल के नाम पर योजना लाई गई वहीँ बिजली बिल का दाम प्रतियूनिट बढ़ गया। जहाँ संपत्ति कर आधा करने की बात थी और यूजर चार्ज समाप्त करने की बात थी वहीँ संपत्ति कर दुगुना और चौगुना पटाना पड़ रहा है, यूजर चार्ज को जोड़कर संपत्ति कर दुगुना कर दिया गया। दारू का दाम भी लगभग ढाई गुना बढ़ गया, जबकि दारुबंदी की बात की गई थी, इसी तरीके से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर सरकार ने अधिकतर क्षेत्रों में यही किया। जनता से वसूली भी काफी ज्यादा की गई और राज्य पर कर्ज का बोझ बढ़ा दिया गया। जिसका प्रतिमाह का ब्याज 570 करोड़ रूपये से ज्यादा चुकाया जा रहा है।

क्या राज्य में जारी रहेंगी कांग्रेस की योजनायें :

जैसा की आम आदमी जिन योजनाओं का लाभ अभी उठा रहा है, वो योजनायें क्या जारी रहेंगी ? ये सवाल आम आदमी के मन में जारी है, अब जरूरत है कि आम आदमी खुद आगे आकर अपनी मांगे सरकार के सामने रखे, जिससे आने वाले 5 सालों में जनता का भला हो और मोदी की गारंटी के साथ राज्य तरक्की करे। इन सभी पुरानी योजनाओं को लेकर भाजपा के नेता कह चुके है कि हम कांग्रेस की योजनायें क्यूँ चलायेंगे? हम भाजपा की योजनायें चलायेंगे, फिर भी आम आदमी के हित को देखते हुये पुरानी योजनाओं की समीक्षा की जायेगी।

मोदी की गारंटी कैसे होगी पूरी जानना चाहता है आम आदमी :

मोदी गारंटी के तहत जो घोषणायें भाजपा की तरफ से की गई है, उन्हें पूरा करने के लिये लगभग 50 हजार करोड़ रूपये की आवश्यकता पड़ेगी। हालाँकि मोदी जी के कार्य पर किसी को कोई संदेह नहीं है, लेकिन वहीँ राज्य के कर्ज और बढती महंगाई के बीच आम आदमी के मन में यह सवाल उठ रहा है, जहाँ 5 साल में छत्तीसगढ़ में कोई विकास का कार्य नहीं हुआ और आम आदमी को मुलभुत सुविधायें नहीं मिल पाई, वहीँ इन योजनाओं के पूरा होने को लेकर आम आदमी संशय में है, क्यूंकि राज्य पर कर्ज बढे या महंगाई बढे, पिसना आम आदमी को ही पड़ता है। अब आगे ये देखना होगा कि नई भाजपा की सरकार इसका प्रबंधन कैसे करती है? क्या गारंटी है आम आदमी पर भार नहीं पड़ेगा या राज्य पर कर्जा नहीं बढेगा? अब ये सब नई सरकार के कामकाज शुरू होने के बाद ही पता चलेगा।