इस्लामाबाद: पाकिस्तान के खस्ता हालात दुनिया छुपे नहीं है , ऊपर नौसिखिया सरकार ने पाकिस्तान का बेड़ा गर्क कर दिया है , जिस पर पाकिस्तानी केंद्रीय बैंक ने शहबाज सरकार को लताड़ लगाई है की अपने मुल्क के लिये इंतजाम करने के बजाय भारत के खिलाफ अनाप-शनाप कहना नहीं चाहिये। मुद्दा है भीषण नकदी संकट से जूझ रहे पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक ने कीमत और वित्तीय स्थिरता को दांव पर लगाकर वृद्धि को तरजीह देने के लिए शहबाज शरीफ सरकार की आलोचना की है। स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) ने हाल ही में जारी अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि अंतरराष्ट्रीय अनुभव ने बार-बार बताया है कि जो देश कीमत और वित्तीय स्थिरता को दांव पर लगाकर वृद्धि को प्राथमिकता देते हैं, वे वृद्धि को बरकरार नहीं रख पाते हैं। पाकिस्तान सरकार इसके बावजूद आर्थिक हितों को ध्यान में न रखते हुए एक के बाद एक फैसले ले रही है। पाकिस्तान में विदेशी मुद्रा भंडार लगातार खतरे के निशान से नीचे बना हुआ है। वहीं, पाकिस्तान के नौसिखिए विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी पड़ोसी देश भारत से रिश्ते सुधारने की जगह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल कर संबंधों को और बिगाड़ आए हैं।
नकदी संकट से जूझ रहा पाकिस्तान
पाकिस्तान के अख़बार ‘डॉन न्यूज’ में प्रकाशित एक खबर के अनुसार, केंद्रीय बैंक ने कहा है कि ऐसी स्थिति में देशों को बार-बार आर्थिक वृद्धि के बाद आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है। गौरतलब है कि पाकिस्तान इस समय गहरे नकदी संकट से जूझ रहा है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली वर्तमान सरकार ने वित्त वर्ष 2023 के लिए वृद्धि पर ध्यान केंद्रित करने से परहेज किया है। इसके बावजूद वह वित्तीय और मूल्य स्थिरता लाने में विफल रही है। एसबीपी का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2023 में वृद्धि दर तय लक्ष्य के मुकाबले कम होगी। इस तरह वृद्धि दर 3-4 फीसदी से कम रह सकती है।
प्राइवेट सेक्टर में छंटनी से लोगों की नौकरी गई :
वृद्धि में तेज गिरावट के कारण पहले ही व्यापार और औद्योगिक क्षेत्रों में भारी छंटनी हो चुकी है और माना जा रहा है कि छंटनी का एक और बड़ा दौर जल्द शुरू होगा। कपड़ा मिलों, निर्यातकों और आयातकों ने साख पत्र के न खुलने पर गंभीर चिंता जताई है, जिसने व्यापार चक्र को पंगु बना दिया है। सरकार द्वारा कीमतों पर ध्यान देने के बावजूद, पिछले पांच महीनों से मुद्रास्फीति 25 प्रतिशत के आसपास है, जिससे स्थिरता और वृद्धि की संभावनाएं बिगड़ रही हैं। जिससे देश के हालात लगातार ख़राब हो रहे है।