चंगाई सभा में चल रहा है मतांतरण का खेल, साय सरकार में मतान्तरण पर हुई कड़ी कार्यवाही।

रायगढ़ : राज्य में धर्मांतरण का गन्दा खेल लगातार चल रहा है, यहाँ एक महीने के भीतर चार बड़े मतांतरण की कई सामने आई है, इन घटनाओं की चंगाई सभा से पोल खुली है, बीते दिनों सास और बहु में मतान्तरण को लेकर बड़ा बवाल मचा, जिसके बाद 10 गिरफ्तारियां की गई। एक माह के अंदर शहर के लगभग एक सौ से अधिक परिवारों का मतांतरण करा दिया गया है। मतांतरण कराने वाले व्यक्तियों द्वारा उन बस्तियों को चुना जा रहा है जहां आर्थिक रुप से कमजोर लोग रहते हैं जिसमें वर्ग विशेष के समुदाय के लोग पादरियों के जरिए स्वास्थ्य को ठीक करने का प्रलोभन देकर मतांतरण के प्रति दिग्भ्रमित करते है। ये कई बार पैसे का प्रलोभन भी देते है और बीमारियाँ दूर करने का भरोसा भी दिलाते है।

इन घटनाओं में सबसे पहले महिला वर्ग को साधा जाता है, जो सरल निशाने पर होती है। वे सभा मे आने के बाद शारिरिक कष्टों कोबताती है। जिन्हें सभा के अंतिम में झाड़-फूंक,बैगा- गुनिया की तर्ज पर तेल तथा पानी को दवा की तरह दिया जाता हैं। यह प्रक्रिया जिन पर असरकारी रहता है वे बीमारी से बचाव होने के चलते आस्था उनका बढ़ते ही मतांतरण बेझिझक करते हैं। ऐसे मामले इक्का-दुक्का और इत्तेफाक से हो जाते है, अथवा इनमें कोई दवा दी जाती है, इसका दावा नहीं किया जा सकता।

हिन्दू धर्म के प्रति अवसाद :

घरों में पादरियों के कहें अनुसार भगवान की फोटो छायाचित्र तक को हटा देते है, जो इसका विरोध करते उसे उन लोगों के बीच से भगा दिया जाता है। वह इस घटनाक्रम के बाद उनके मन मस्तिष्क में इस कदर हिन्दू धर्म के प्रति अवसाद भरा जाता है जिससे वह अपने घर में मौजूद देवी देवताओं के छायाचित्र, प्रतिमा को रखना तो छोड़ चर्चा करना भी मुनासिब नहीं समझते हैं। इस तरह मतांतरण का खेल शहर से ग्रामीण अंचल में लगातार जोरों पर चल रहा है जिसका जीता जाता प्रत्यक्ष प्रमाण शहर में एक माह में चार चंगाई सभा से नजर आ रहा है। शहरी क्षेत्रों इनके टारगेट संभ्रांत और शिक्षित लोग नहीं होते। शहरी क्षेत्रों में भी ये गरीब बस्तियों और महिलाओं को निशाना बनाते है।

मत्तांतरण को लेकर जशपुर के राजा दिलीप सिंह जूदेव द्वारा सार्थक प्रयास किया गया था। जिसमें उनके द्वारा घर वापसी अभियान चलाया गया था। गांव-गांव में छोटे बड़े स्तर पर या अभियान चला। पैर धुलाकर घर वापसी करवाई गई और सनातनी धर्म से वापस जोड़ा गया। जिसका परिणाम भी बेहतर रहा है। गरीब तबके में जीवन यापन करने वाले लोग आज भी स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर कई तरह के सवालों के साथ उधेड़बुन में रहते है। जरूरी स्वास्थ्य सुविधा का लाभ नहीं ले पाते है या फिर जानकारी के अभाव में इससे वंचित रहते हैं यही वजह रहता है कि मतांतरण के खेल में लगे लोगों का नेटवर्क कड़ी से कड़ी मिलाते हुए ऐसे लोगों को चिन्हित करता है और सभा में लाने तक की व्यवस्था की जाती है। इन परिस्थितियों को रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग को ऐसे लोगों को चिन्हित करते हुए उनके लिए कार्य करना होगा। गरीब बस्तियों में लोगों के स्वास्थ्य पर ध्यान देना और उन्हें जागरूक करना जरुरी है।

मतांतरण पर कड़ी कार्यवाही :

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राज्य में ठंड की आहट होते ही मतांतरण कराने वाली ईसाई मिशनरियां सक्रिय हो गई हैं। क्रिसमस से पहले चंगाई सभा करके मतांतरण के प्रयासों में तेजी आ गई है। इससे भाई-भाई में मनमुटाव और सास-बहू के बीच झगड़े की नौबत आ गई है। इसे चुनौती देते हुए हिंदू संगठनों ने भी मोर्चा खोल दिया है। कई जिलों में मतांतरण का जवाब घर वापसी कराकर दिया जा रहा है। जबरन मतांतरण कराने वालों के खिलाफ अपराधिक मामले भी दर्ज हो रहे हैं।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय सरकार के 11 महीने में 13 एफआईआर हो चुकी है। इनमें चार मामले अकेले इसी एक महीने के हैं। मतांतरण कराने वाले परेशानी, दुख दूर करने और धन का प्रलोभन दे रहे हैं। पूर्ववर्ती कांग्रेस की भूपेश सरकार के पांच साल के कार्यकाल में महज 10 मामलों पर एफआईआर हुई थी। मतान्तरण के खिलाफ कार्यवाही का असर ये है कि लेाग अब खुलकर विरोध में उतर आ गए हैं। उत्तर छत्तीसगढ़ के सरगुजा, सूरजपुर और बलरामपुर जिले में मतांतरण का खुलकर विरोध हो रहा है। मतांतरण के लिए प्रलोभन के आरोप पर बलरामपुर जिले में चार अपराधिक प्रकरण दर्ज किए गए हैं। इनमें से तीन प्रकरण राजपुर थाना और एक प्रकरण बसंतपुर थाना से जुड़ा हुआ है। ऐसे ही कई मामलों पर लगातार कार्यवाही हो रही है।