कम वोटिंग मामले में हुआ बड़ा खुलासा, मचा हड़कंप, चुनाव आयोग ने नहीं दी पर्ची और निगम से कहा….।

रायपुर : कम वोटिंग अब बड़ा मुद्दा बन गया है, ये तो तय है कि चुनाव आयोग की तैयारियां इस बार पूरी नहीं थी जिसके कारण चुनाव एक माह टल गया, अब नगरीय निगम चुनाव में प्रदेश के सबसे बड़े नगर निगम रायपुर में इस बार सबसे कम 49.58 फीसदी वोट पड़ने को लेकर मचा हड़कंप थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस बार शहर के मतदाताओं  तक वोट की सरकारी पर्ची बंटी ही नहीं है। वोटिंग पर्ची में अब चौंकाने वाला नया खुलासा हुआ है कि राज्य निर्वाचन आयोग ने निगम को पर्ची नहीं दी, बल्कि मतदान से 3 दिन पहले रात 10 बजे कहा गया था कि सर्वर से प्रिंट निकालो और दस जोन के 10 लाख से अधिक वोटरों को पर्ची बंटवा दो। नगर निगम के 1 जोन में औसतन 1 लाख से ज्यादा मतदाता आते हैं, ऐसे में सर्वर से प्रिंट निकालकर दस जोन के 10 लाख वोटर तक पहुंच पाना संभव नहीं था। इस कारण लाखों लोग वोट नहीं डाल पाए, उन्हें पता ही नहीं था कि उनका वोट कौन से बूथ में है। 

रायपुर जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष ने इस मामले में कहा है कि, वे हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करेंगे। उल्लेखनीय है कि निगम चुनाव में इस बार बीएलओ की जगह निगम के राजस्व महकमे को निर्वाचन आयोग ने आनन-फानन में मतदाताओं की सरकारी पर्ची बांटने का जिम्मा सौंपा गया था, जो कि पहले से ही चुनाव कार्य में अलग-अलग कार्यों में लगे हुए थे। भोजन सामग्री की व्यवस्था करना, मतदान केन्द्र में टेबल कुर्सी, पानी सफाई की व्यवस्था से लेकर परिवहन व्यवस्था सहित अन्य कार्य संपादित करने की जिम्मेदारी इन्हें सौंपी गई थी। ऐसे में पर्ची बांटना कहाँ से संभव था, वह भी अंतिम समय में।

हाईकोर्ट में दायर करेंगे याचिका :

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इंद्रावती कॉलोनी निवासी एवं रायपुर जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष हितेंद्र तिवारी ने बताया कि, उनका परिवार पं. रविशंकर शुक्ल वार्ड में रहता है। वे हर बार नूतन स्कूल में वोटिंग करते हैं। लेकिन इस बार उनका नाम ही नहीं था। उन्होंने शांति नगर स्कूल, बीपी पुजारी स्कूल समेत वार्ड के अन्य सभी मतदान केंद्रों में पहुंचकर अपना नाम ढूंढा, लेकिन कहीं नहीं मिला। जिससे पूरा परिवार वोट नहीं डाल सका। कॉलोनी के रहने वाले 35 से अधिक लोगों के नाम मतदाता सूची में नहीं है। उन्हें वोटिंग के अधिकार से वंचित किया गया है। इसके खिलाफ वे हाईकोर्ट में याचिका भी दायर करेंगे। ऐसे ही हर जगह दिक्कतें सामने आई पति-पत्नी का बूथ भी अलग – अलग होने के कारण दिक्कतें गई। ऐसा पहली बार नहीं है, जब चुनाव आयोग की व्यवस्थायें धरी रह गई हों। इसके पहले भी राज्य चुनाव के समय में भी ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले मतदाताओं का बूथ पश्चिम विधानसभा में चला गया था। एक ही परिवार के सदस्यों के वोटिंग बूथ भी अलग-अलग रहे है।