गाँव में लगाया ईसाइयों के प्रवेश पर रोक वाला होर्डिंग्स, कोर्ट ने बताया सही, जबरन मतांतरण गंभीर चिंता का विषय।

बिलासपुर : राज्य में जबरिया धर्मान्तरण अपने चरम पर है, ऐसे में खासकर कांकेर क्षेत्र के लोग काफी परेशान चल रहे है, यहाँ मिशनरियों के कारण आये दिन बवाल हो रहा है। वहीँ इस मामले को लेकर गाँव वालों ने मिशनरियों के प्रवेश पर रोक लगाने का होर्डिंग लगाया है। वहीँ जबरन मतांतरण के विरोध पर सहमति जताते हुए छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने इसे गंभीर चिंता का विषय बताया है। कोर्ट ने कहा कि प्रलोभन या धोखाधड़ी से कराए जा रहे मतांतरण को रोकने के उद्देश्य से लगाए गए होर्डिंग्स को असंवैधानिक नहीं ठहराया जा सकता। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने कांकेर जिले के गांवों से ऐसे होर्डिंग्स को हटाने की मांग वाली याचिका का निपटारा कर दिया है।

इस मामले में कांकेर निवासी दिगबाल टोंडी ने एक रिट याचिका दायर की थी। इसमें गांवों की सीमाओं पर लगे उन होर्डिंग्स को हटाने की मांग की थी जो पादरियों और मतांतरित ईसाइयों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाते हैं। वहीँ मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति विभू दत्त गुरु की खंडपीठ ने आदेश में स्पष्ट किया कि होर्डिंग्स संबंधित ग्राम सभाओं द्वारा जनजातियों के हितों और स्थानीय सांस्कृतिक विरासत की रक्षा के लिए एहतियाती उपाय के रूप में लगाए गए प्रतीत होते हैं। ऐसे में इसे गलत कहना मुश्किल है।

वहीँ यह होर्डिंग्स लगाने वाले ग्रामीणों का कहना है कि उनका यह कदम संविधान की पांचवीं अनुसूची में आदिवासी क्षेत्रों को दी गई स्वशासन और सांस्कृतिक सुरक्षा की भावना के अनुरूप है। पेसा अधिनियम 1996 लागू है, जिसके नियम चार (छ) के तहत सांस्कृतिक पहचान और पारंपरिक संस्कृति के संरक्षण का अधिकार प्राप्त है। ऐसे में इसे संरक्षण हेतु लगाया गया गया है।

इस मामले में ग्रामीणों का कहना है कि हम ईसाई धर्म या किसी भी अन्य धर्म का विरोध नहीं कर रहे हैं। मगर हमारे गांव के भोले-भाले लोगों को लालच, प्रलोभन या मदद के नाम पर धर्म बदलवाया जा रहा है, जो हमारी आदिवासी संस्कृति के लिए खतरा है। ग्रामीणों का मानना है कि ऐसे कदमों से गांव का सामाजिक संतुलन बिगड़ रहा है और पुरखों की परंपराएं कमजोर पड़ रही हैं। इसलिए उन्होंने सामूहिक रूप से निर्णय लेकर गांव में प्रवेश रोकने का ठोस कदम उठाया है। इसका उद्देश्य अपने धर्म और संस्कृति की रक्षा करना है।

बता दें कि कांकेर जिले में अब तक कुल 12 गांवों ने इस तरह से मतांतरण के विरोध में कदम उठाए हैं। गांव की सीमा पर बोर्ड लगाकर ईसाई धर्म प्रचार-प्रसार पर रोक लगाई है। जिसको लेकर एहतियात बरती जा रही है, लेकिन विरोधियों को यह रास नहीं आ रहा है, जिसको लेकर उन्होंने कोर्ट में याचिका लगा दी, जिसमें कोर्ट ने गाँव वालों के पक्ष में फैसला दिया है।