नई दिल्ली : जी20 यानी ग्रुप ऑफ ट्वेंटी, ये 20 देशों का एक समूह है, ये 20 देश साल में एक बार एक सम्मेलन के लिए इकट्ठा होते हैं और दुनियाभर के आर्थिक मुद्दों के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन, सतत विकास, स्वास्थ्य, कृषि, ऊर्जा, भ्रष्टाचार-विरोध और पर्यावरण जैसे मुद्दों पर चर्चा करते हैं। G20 के आयोजन से भारत को विश्व में बड़ी साख मिली है, G20 में 20 देशों के प्रतिनिधि हिस्सा लेने वाले हैं। इसमें 19 देश और यूरोपीय संघ शामिल हैं।
इन देशों में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, रिपब्लिक ऑफ कोरिया, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं। 1990 के दशक के अंत में विशेष रूप से पूर्व और दक्षिण पूर्व एशिया को प्रभावित करने वाले वित्तीय संकट के जवाब में 1999 में जी20 का गठन किया गया था। मध्यम आय वाले देशों को वैश्विक वित्तीय स्थिरता देने के लिए जी20 को बनाया गया था। यह अंतर्राष्ट्रीय पर व्यापारिक संबंधों को लेकर बनाया गया था, जिसका मुख्य उद्देश्य वैश्विक व्यापार को स्थिरता और बढ़ोत्तरी को लेकर बनाया गया था।
G20 में क्या होगा?
नई दिल्ली में हो रहे जी20 सम्मेलन के 6 एजेंडे है जिसमें से एक है ग्रीन डेवनपमेंट, क्लाइमेट फाइनेंस और लाइफ। इसमें सस्टेनेबल डेवलपमेंट और क्लाइमेट फाइनेंस स्ट्रैटजी से पर्यावरण को लेकर सामने आने वाली चुनौतियों से निपटने के बारे में बात की जाएगी। इसके अलावा इस सम्मेलन का उद्देश्य समाज के सभी वर्गों को लाभ पहुंचाने के लिए समावेशी आर्थिक विकास को प्राथमिकता देना और आर्थिक संकटों से निपटने के तरीकों पर विचार करना भी है। अब वैश्विक स्तर पर इसमें व्यापार के अलावा अन्य मुद्दों पर भी चर्चा किया जाना हो।
G20 का उद्देश्य क्या है :
सतत विकास के लक्ष्यों (एसडीजी) को पूरा करने के लिए चल रहे कार्यों में तेजी लाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इसके अलावा जी20 का एक उद्देश्य तकनीकी परिवर्तन और डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा तैयार करना भी है। इससे भारत ही नहीं बल्कि जी20 में शामिल हर देश को लाभ होगा। दुनिया में आने वाली हर तकनीक को सभी देशों के आम लोगों तक पहुंचाकर फायदा मिल पाये।
G20 का उद्देश्य क्या है 2023 :
इस सम्मेलन का एक उद्देश्य सुधारों और नवाचारों के माध्यम से 21वीं सदी की उभरती मांगों को पूरा करने के लिए वैश्विक संस्थानों का निर्माण करना है। इसका अन्य उद्देश्य है विकास के सभी पहलुओं में महिलाओं को सशक्त बनाना, समाज और अर्थव्यवस्था में उनके अमूल्य योगदान को मान्यता देना।
किन देशों से आ रहे हैं लीडर्स :
नई दिल्ली में G20 शिखर सम्मेलन में सदस्य देशों के प्रतिनिधियों और G20 आमंत्रितों के साथ-साथ राष्ट्राध्यक्षों और सरकार के प्रमुख भी उपस्थित रहेंगे। इसमें अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक, कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो, जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा और सऊदी अरब के राजा सलमान बिन अब्दुल अजीज अल सऊद शामिल हैं। ये नेता उन चर्चाओं में शामिल होंगे जिनमें आने वाले वर्षों के लिए वैश्विक नीतियों और सहयोग को आकार देने की क्षमता है। हालांकि, दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन शामिल नहीं हो पाएंगे। उन्होंने अपनी जगह रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव को भेजा है।
G-20 में शामिल देशों का प्रभाव :
जी20 के सदस्य देश, दुनिया की 60% आबादी की नुमाइंदगी करते हैं. इन देशों का पूरी दुनिया की GDP में 85% और अंतरराष्ट्रीय व्यापार में 75% हिस्सेदारी है। आबादी के लिहाज से इन 20 देशों का पूरे विश्व में बड़ा असर पड़ेगा।
भारत में जी20 शिखर सम्मेलन :
भारत 1 दिसंबर 2022 से 30 नवंबर 2023 तक जी20 की अध्यक्षता करेगा, 16 नवंबर 2022 को जी20 बाली शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी को जी20 की अध्यक्षता सौंपी गई थी, इससे पहले 8 नवंबर 2022 को पीएम ने जी20 का लोगो लॉन्च किया था और भारत की जी20 प्रेसीडेंसी थीम- ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ यानी- ‘वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर’ का अनावरण किया था। जिसको लेकर चीन को ये बात हजम नहीं हुई और उसने अपना विरोध जताया है। जी20 के लोगो को भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रंगों में डिजाइन किया गया है, जो हमारे पृथ्वी-समर्थक दृष्टिकोण और चुनौतियों के बीच विकास का प्रतीक है।
देश के उत्तरी छोर श्रीनगर से लेकर दक्षिण में तिरुवनंतपुरम और पश्चिम में कच्छ के रण से लेकर पूरब में कोहिमा तक में कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है। सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश इस कार्यक्रम का हिस्सा है, इस कार्यक्रम के लिए देशभर में 56 आयोजन स्थल हैं जहां 200 से ज्यादा बैठकों का आयोजन किया जा रहा है।
जी20 में भारत की भूमिका क्या है?
जी20 सम्मेलन में तीन स्तरों पर भारत की जरूरत है :
- पहली वैश्विक- जहां भारत को इस विभाजित दुनिया में अग्रणी भूमिका निभाना है, जिसकी लंबे समय तक छाप छोड़ना भी एक मूलभूत उद्देश्य है। साथ ही विकासशील देशों के सरोकारों को आगे बढ़ाना और उनके मुद्दों को प्राथमिकता से रखना भी भारत की जिम्मेदारी है।
- दूसरी क्षेत्रीय- वैश्विक स्तर पर दक्षिण एशिया का अगुआ देश भारत ही है। इस वजह से दक्षिण एशिया के बाकी देशों के हितों को (जो जी20 का हिस्सा नहीं है) आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी भी भारत की ही है।
- तीसरी घरेलू- आज पूरी दुनिया में भारत के नाम का डंका बज रहा है. सिर्फ भारत को ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को भी भारत की जरूरत है। ऐसे में दुनियाभर में भारत की बढ़ती हैसियत की घरेलू माहौल में पुष्टि करना भी एक बड़ी जिम्मेदारी है।
जी20 में भारत किन मुद्दों पर देगा जोर?
भारत अपनी पूरी ताकत के साथ दुनिया के प्रमुख 20 देशों का नेतृत्व कर रहा है, भारत को मौका मिला है कि वह प्रमुख वैश्विक मुद्दों पर आम सहमति बनाने, सामूहिक कार्यवाही के लिए जोर डालने की अगुवाई करे और साथ ही विकासशील देशों के एजेंडों का चैंपियन बनकर उभरे, सीधे शब्दों में कहा जाए तो यह वैश्विक मंच भारत के बढ़ते महत्व को दर्शाने की बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा। इस सम्मेलन में चर्चा के दौरान कुछ क्षेत्र ऐसे हैं, जहां भारत की अपनी कोशिशों पर ध्यान फोकस करने की उम्मीद है। इस सम्मेलन ने भारत कद विश्व में काफी बढ़ाया है।
जलवायु संकट होगी चर्चा :
भारत से जलवायु परिवर्तन और सतत विकास पर चर्चा का नेतृत्व करने की जो उम्मीद विश्व ने रखी है, भारत उस पर खरा उतर रहा है। इस साल जलवायु परिवर्तन की वजह से भारत के कई राज्य जैसे- हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड में भारी तबाही मची है। इसमें जान-माल का काफी नुकसान हुआ है, भारत के अलावा कई और देश भी जलवायु परिवर्तन की मार झेल रहा है। COP27 सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन की मार झेल रहे देशों को मुआवजे के लिए ‘घाटा और नुकसान’ फंड की स्थापना करने पर बात बनी थी। भारत जी20 सम्मेलन में इस फंड के क्रियान्वयन के लिए बात रख सकता है, साफ शब्दों में कहें तो भारत का ध्यान विकासशील देशों को उनके जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के लिए वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिए विकसित देशों की आवश्यकता पर केंद्रित करने पर है.
वित्तीय विनियमन और आर्थिक विकास पर चर्चा :
भारत दुनिया के लिए एक देश से ज्यादा एक बाजार है, जहां अपनी दुकान लगाने के लिए बाकी देशों में होड़ मची हुई है. इसी का नतीजा है कि भारत सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। भारत ने विकास को बढ़ावा देने के लिए हाल के वर्षों में आर्थिक सुधारों की एक श्रृंखला लागू की है. दुनिया के सभी देशों को इसका फायदा मिल सके इसके लिए भारत वित्तीय विनियमन के क्षेत्र में सदस्य देशों के बीच अधिक समन्वय के लिए जोर दे रहा है और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के उपायों की मांग को मजबूत कर रहा है।
डिजिटल फासले को कम करना :
दुनिया की आधी आबादी के पास डिजिटल सुविधाएं नहीं हैं और भारत डिजिटल अर्थव्यवस्था में एक प्रमुख खिलाड़ी है. सम्मेलन में भारत से टेक्नोलॉजी और डिजिटल अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में सदस्य देशों के बीच अधिक सहयोग पर जोर देने की उम्मीद है. भारत JAM (जन धन-आधार-मोबाइल) के जरिए अपने समावेशी डिजिटल क्रांति की विशेषता का लाभ भी दूसरों को दे सकता है. यूपीआई पेमेंट सिस्टम इसका एक बेहतरीन उदाहरण है।
भारत को G20 से क्या फायदा होगा?
भारत को आजाद हुए 76 साल हो चुके हैं. इस दौरान देश ने कई उपलब्धियां हासिल की है। हम आज कई क्षेत्रों में टॉप-5 में हैं, कई में टॉप-3 तो कुछ जगहों पर टॉप पर हैं, इसके बावजूद भारत को विकासशील देशों में गिना जाता है, इसलिए जी20 एक ऐसा फोरम हैं जहां भारत अपनी श्रेष्ठता को और बेहतर ढंग से बता सकता है। पीएम मोदी का भी लक्ष्य है कि जब देश आजादी के 100 साल मना रहा होगा, तब 2047 में भारत एक विकसित राष्ट्र होगा। दुनिया को बताने की जरूरत है कि भारत दुनिया का वैश्विक नेता बनने के लिए पूरी तरह तैयार है, भारत ने समय-समय पर दिखाया है कि विकसित देश उन्नत संसाधनों के बावजूद वो मुकाम हासिल नहीं कर पाते, जो भारत अपने सीमित संसाधनों के साथ कर लेता है।
चाहे मंगलयान हो या कोविड जैसी महामारी में 140 करोड़ देशवासियों की रक्षा करना या फिर चंद्रयान-3 हर मामले में भारत औरों से बेहतर है। दुनिया के बाकी देश भी अगर भारत के साथ मिलकर काम करेंगे तो मानव समाज की उन्नति और पृथ्वी संरक्षण के प्रयास में तेजी लाई जा सकती है। जी20 में भी भारत का उद्देश्य यही है. भारत का G20 अध्यक्षता थीम भी- ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ या ‘एक पृथ्वी, एक कुटुंब, एक भविष्य’ है। इस सम्मेल्नके जरिये पूरी दुनिया को ये बता देगा कि भारत सम्पूर्ण विश्व को अपना परिवार मानता है।