अमेरिका के सामने मुसीबत बना ईरान, झुकने को मजबूर अमेरिका, सामने आई ये चौंकाने वाली जानकारी….।

अंतर्राष्ट्रीय : भले ही दुनियां में महाद्वीप 7 है, लेकिन पूरी दुनिया मुख्यतः दो हिस्सों में बंटी हुई है, और ये दो हिस्से है अमेरिका और रूस। पूरी दुनियां में जहाँ अमेरिका पहले नंबर पर है तो रूस दूसरे नंबर पर है। दुनियां में इन्हीं दोनों के बीच शीतयुद्ध शुरू हुआ था, जिसको लेकर दुनियां में इन दोनों देशों बाकी देशों को अपने पक्ष में मिला लिया था, वहीँ तत्कालिन भारतीय प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु कुछ देशों को लेकर खुद को गुटनिरपेक्षता में रखा था, जिसके बाद जो देश जिसके पक्ष में गया वो विपक्षी देश का विरोधी हो गया, अब तक वही राजनीति लगातार चल रही है। इस सहित युद्ध में अमेरिका और रूस का तो कोई नुकसान नहीं हुआ , लेकिन बाकी देशों ने बहुत बड़ा नुकसान सहा, जिसमें आर्थिक और सैन्य शक्ति का नाश हुआ था।

अब जहाँ रूस-यूक्रेन युद्ध में अमेरिका यूक्रेन को मदद कर रहा है तो वहीँ अब इसराएल और हमास के युद्ध में ईरान अमेरिका के विरुद्ध खड़ा हो गया है, जिसमें रूस अब ईरान को मदद कर रहा है। अब मुख्य मुद्दा है कि हमास प्रमुख इस्माइल हनियाह की हत्या के बाद ईरान ने सीधे इजराइल पर हमला करने की धमकी दी थी, जिसके बाद अब पूरे मध्य पूर्व में युद्ध जैसे हालात पैदा हो गए हैं। एक तरफ अमेरिका ने मिडिल ईस्ट में अपने 3 जंगी जहाज तैनात कर दिए हैं, तो वहीं दूसरी तरफ रूस ने ईरान को मदद का भरोसा दिया है। जिसके बाद अब तीसरे विश्व युद्ध की आशंका बढ़ गई है। अब अमेरिका, फ्रांस, इटली, जर्मनी और ब्रिटेन ने मिडिल ईस्ट के हालात पर संयुक्त बयान जारी किया है। अब इसके बाद अमेरिका में हालात डरने वाले बन गये है।

वहीँ बार-बार मीडिया द्वारा तीसरे विश्व युद्ध की आशंका को लेकर लोग ऊँगली उठाते है, लेकिन लगातार विभिन्न देशों के बीच किसी ना किसी कारण से युद्ध जारी है, जो कि देर सबेरे चानक से तीसरे विश्व युद्ध की तरफ मुड़ जायेगा। वर्तमान स्थिति में रूस लम्बे समय से युद्ध में लगा हुआ है, जिसको लेकर वो कभी-भी परमाणु हथियार प्रयोग करने के लिये मजबूर होगा या फिर इस्लामिक देश अमेरिका और इसराएल को लेकर बड़े हमले कर सकते है।

मिडिल ईस्ट में कम होगा तनाव? :

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अब अमेरिका, फ्रांस, इटली, जर्मनी और ब्रिटेन देशों ने मिडिल ईस्ट में तनाव कम करने और गाजा में सीजफायर और बंधकों की रिहाई के लिए एक डील तक पहुंचने के लिए अपना पूर्ण समर्थन जाहिर कर दिया है, जिससे की अमेरिका को झुकना पड़ गया है, इन देशोंने अपने संयुक्त रूप से जारी बयान में कहा गया है, “जितना जल्दी हो सके, हमने एक डील तक पहुंचने के उद्देश्य से इस हफ्ते के आखिर में बातचीत फिर से शुरू करने के लिए राष्ट्रपति बाइडन, मिस्र के राष्ट्रपति अब्दुल फ़तह अल सीसी और कतर के अमीर तमीम के संयुक्त आह्वान का समर्थन किया है।”

ईरान को लेकर क्या है प्लान :

संयुक्त बयान में कहा गया है, “सभी पक्षों को अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए, इसके साथ ही गाजा तक बिना रुकावट मदद पहुंचाया जाना जरूरी है।” इसके साथ पांचों देशों ने ईरान और उसके समर्थन वाले संगठनों के इजरायल के हमले खिलाफ इजरायल की रक्षा के लिए अपना समर्थन दिया है। बयान में कहा है कि ईरान की तरफ से इजरायल के खिलाफ सैन्य हमलों की लगातार मिल रही धमकियों को रोकने की गुजारिश की गई है। लेकिन ईरान का झुकना मुश्किल लग रहा है। 

अब तक गाजा में 40 हजार से ज्यादा लोगों की मौत :

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हमास और इजरायल के बीच पिछले साल 7 अक्टूबर से जंग जारी है, जिसको लगभग 1 वर्ष होने को आ गया है। इस हिंसा में अब तक 40 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि 90 हजार से ज्यादा लोग जख्मी हुए हैं। इसमें सबसे ज्यादा महिलाओं और बच्चों की मौत हुई है। इस हिंसा के बाद पूरा विश्व दो हिस्सों में बंट गया है। एक हिंसा इजरायल के हमले को जायज ठहरा रहा है। वहीं, दूसरा इजरायल के हमले के नरसंहार बता रहा है। अब इसके बाद आगे ईरान क्या करेगा कह पाना मुश्किल है। वहीँ अमेरिका उधर चुनाव में व्यस्त है।