व्यापार में चढ़ा लाखों का कर्ज तो कर दिया ऐसा काम की पहुँच गये हवालात, ‘खाया-पिया कुछ नहीं, गिलास तोड़ा 12 आना’।

रायपुर : चौतरफा व्यापार चौपट होने से कारोबारियों पर लगातार कर्ज बढ़ता ही जा रहा है, इसका समाधान दूर – दूर तक किसी को नजर नहीं आ रहा है, महंगे किराये भाड़े की दुकानें और लागत के बाद बढ़ती महंगाई से त्रस्त व्यापारी अब ऐसा काम करने लगे है, जिसके बारे में वो कभी खुद सोचने से दूर रहे होंगे। मामला जो सामने आया है वो इस प्रकार है जिले में लगातार दो जगहोें पर बैंक/एटीएम लूटने की कोशिशों को गंभीरता से लेते हुए पुलिस कप्तान अमित तुकाराम कांबले ने आरोपियों की धरपकड़ के लिए स्पेशल टीम बनाई थी। पतासाजी के दौरान छिंदोला गांव का अरूण कुमार ध्रुव (28) पुलिस के हत्थे चढ़ा। पूछताछ में उसने बताया कि धान खरीदी के कारोबार में उस पर 25-30 लाख का कर्ज चढ़ गया था।

पांडुका ग्रामीण बैंक में चोरी :

कर्ज चुकाने के लिए उसने अपने साथी टकेश्वर यादव और एक अपचारी बालक के साथ मिलकर लूट की योजना बनाई। 25 सितंबर को उन्होंने गरियाबंद के केनरा बैंक के एटीएम तोड़ने की कोशिश की। लेकिन उसमें असफल रहे। इसके बाद 26 सितंबर को पांडुका ग्रामीण बैंक में चोरी की योजना बनाई। आधी रात को बैंक का शटर भी तोड़ा। अंदर रखे लॉकर को देखकर ही लग गया कि इसे किसी हाल में नहीं तोड़ पाएंगे। इसके बाद दूसरे कमरों की तलाशी ली पर कहीं फूटी कौड़ी नहीं मिली, इसके बाद वो लौट गये।

सुरक्षा उपायों को और मजबूत बनाने की दरकार :

आरोपी की निशानदेही पर पुलिस ने लूट में शामिल बाकी अन्य 2 लोगों को भी गिरफ्तार कर तीनों को कोर्ट में पेश किया। कुल मिलाकर कहानी ‘खाया-पिया कुछ नहीं, गिलास तोड़ा 12 आना’ वाली है। यह घटना बताती है कि कर्ज के बोझ में दबा व्यक्ति कितने जटिल रास्तों पर जा सकता है। बहरहाल, जिले में बढ़ते संगठित अपराधों ने लोगों में चिंता बढ़ा दी है। ऐसे में सुरक्षा उपायों को और मजबूत बनाने की दरकार है। केस सॉल्व करने में पांडुका पुलिस और साइबर सेल की अहम भूमिका रही। इस प्रकार की घटनाओं को अंजाम देना आसान काम नहीं होता, लेकिन मजबूरी में सभ्य और ईमानदार व्यापारी को मजबूरी में यह कदम उठाना पड़ गया।

खोदा पहाड़, चुहिया भी नहीं निकली: पकड़ा गए वो अलग :

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लुटेरों ने अगले दिन पांडुका के ग्रामीण बैंक में बड़ी चोरी की योजना बनाई। उन्होंने महेश साहू के वाहन को किराए पर लेकर चुराए गए सिलेंडरों को छिपाने के लिए पोंड मंडी में रखा। रात को ताला काटकर बेंक अंदर घुसे। मन के अरमान तब पछतावे में बह गए, जब भारी-भरकम सा लॉकर दिखा। दूसरे कमरों में भी चप्पा-चप्पा ढूंढने के बाद भी जब उन्हेें एक नया पैसा नहीं मिला तो लाखों-करोड़ों मिलने का लालच लिए आए लुटेरों की सारी उम्मीदें धूमिल हो गईं। यहां भी सीसीटीवी, डीवीआर चुरा लिया। बाद में जब पोंड़ से सिलेंडर, कटर लेकर लौटते वक्त पुलिस वालों ने उन्हें धरदबोचा, जिसके बाद वो पुलिस के हत्थे चढ़ गये।

वहीँ गरियाबंद जिले में बैंक और एटीएम लूटने की कोशिशों ने पुलिस की नींद उड़ा रखी थी। इनकी धरपकड़ के लिए पुलिस को अलग टीम बनानी पड़ी। इन्होंने एक संदिग्ध को पकड़ा, जिसने संगठित गिरोह का पर्दाफाश किया है। लुटेरे ने बताया कि उस पर 25-30 लाख कर्ज हो गया था। इसे चुकाने के लिए ही उसने 2 अन्य (जिनमें एक नाबालिग भी है) जिसके साथ मिलकर गरियाबंद के केनरा एटीएम और पांडुका के ग्रामीण बैंक में सेंधमारी की।

पहले पांडुका में लूटमारी का प्लानबनाया, 2 साथी भी शामिल किए :

गले तक कर्ज में डूब चुके अरूण ने एक रात पांडुका का ग्रामीण बैंक लुटने का प्लान बनाया। ये बैंक उसके आने-जाने के रास्ते में पड़ता था। उसने देखा था कि यहां ज्यादा भीड़ नहीं होती। उसने गांव के टकेश्वर यादव और एक नाबालिग से भी अपनी योजना साझा की। दोनों को ये प्लान भा गया और वे भी उसके साथ हो लिए। बैंक का शटर और लॉकर तोड़ने के लिए उन्हें कटर और ऑक्सीजन सिलेंडर की जरूरत थी। ऐसे में तीनों ने सबसे पहले गरियाबंद की कोमल ट्रैक्टर ट्रॉली दुकान में कटर और सिलेंडर चोरी कर सिलसिलेवार लूटमारी की नींव रखी, जिसके बाद उन्होंने इस घटना को अंजाम देना चाहा।

हंसिया-टंगिया लेकर पहुंच गए गरियाबंद, एटीएम खोल न पाए :

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लो प्रोफाइल अधूरे लूटकांड के लुटेरों ने ‘जाना था जापान, पहुंच गए चीन’ वाली कहावत भी चरितार्थ कर दिखाया है। पहले बनी लूट की प्लानिंग में गरियाबंद कहीं नहीं था। 25 सितंबर की रात अरूण ने सोचा कि पहले गरियाबंद में कांड करते हैं। हंसिया और टंगिया लेकर वह गरियाबंद में केनरा बैंक का एटीएम लुटने निकल पड़ा। अंधाधुंध कोशिशों के बाद भी जब एटीएम नहीं खुला, तो वहां लगा सीसीटीवी कैमरा और डीवीआर उखाड़कर ले गए, जिससे उनके फंसने का कोई रास्ता ना हो।