लखनऊ/नई दिल्ली : भारत में करोड़ों की संख्या में अवैध प्रवासी निवासरत है। बांग्लादेश से भारत में घुसपैठियों का आना देश की सुरक्षा के लिए एक गंभीर संकट के रूप में सामने आया है। पड़ोसी देश से आए घुसपैठिये न सिर्फ देश के संसाधन पर कब्जा जमाते हैं, बल्कि आम नागरिकों के हक पर भी चोट करते हैं। तमाम जगहों पर बांग्लादेशी घुसपैठिये आपराधिक गतिविधियों में भी लिप्त पाये गये हैं, जो भारतीय नागरिकों के लिये घातक साबित हो रहे है। बांग्लादेश से सटे भारतीय बॉर्डर पर घुसपैठ का खेल सालों से चल रहा है। यहाँ ज्यादातर घुसपैठ पश्चिम बंगाल के रास्ते होती है, जहां बड़े-बड़े गैंग काम करते हैं। ये गैंग बांग्लादेश से लोगों को लाने, फर्जी दस्तावेज बनाने और भारत के शहरों में बसाने का पूरा काम संभालते हैं। यह सब चरणबद्ध तरीके से होता है।
कई हिस्सों में बंटे हैं घुसपैठ कराने वाले गैंग :
घुसपैठ कराने वाले गैंग कई हिस्सों में बंटे होते हैं। पहला हिस्सा बांग्लादेश में लोगों को चुनता है और बॉर्डर पार कराता है। दूसरा हिस्सा भारत में बॉर्डर से रेलवे या बस स्टैंड तक पहुंचाता है। तीसरा हिस्सा कोलकाता या अन्य शहरों से ट्रेनों के जरिए यूपी, दिल्ली, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में भेजता है। चौथा हिस्सा झुग्गियों में रहने-खाने और छोटे कामों का इंतजाम करता है। बाद में फर्जी आधार और वोटर आईडी बनवाकर उन्हें आम नागरिक जैसा बना दिया जाता है। इस पूरे खेल में दलालों का रेट कार्ड तय है। पहाड़ी रास्ते से घुसपैठ कराने के लिए 7-8 हजार रुपये, पानी के रास्ते से 3-4 हजार, समतल जमीन से 12-15 हजार रुपये लिए जाते हैं। कागजात बनाने के लिए अलग से 2 हजार रुपये और नौकरी के लिए 5-7 हजार रुपये लगते हैं। इस तरह ये दलाल अवैध प्रवासियों को भारत का नागरिक बना देते है।
बॉर्डर से कैसे करवाई जाती है घुसपैठ?
भारत-बांग्लादेश बॉर्डर कुल 4096.7 किलोमीटर लंबा है, जिसमें से 3232.7 किलोमीटर पर तारबंदी हो चुकी है। लेकिन जहां नदी-नाले हैं या जमीन का अधिग्रहण नहीं हुआ है, वहां से घुसपैठियों को मौका मिल जाता है। पश्चिम बंगाल में 112 किलोमीटर का क्षेत्र जहां फेंसिंग नहीं हो सकती। बांग्लादेश में बैठे दलाल इसी मार्ग को घुसपैठ के लिए प्रयोग करते हैं। पहाड़, नदी और नाले पार कराकर लोगों को भारत पहुंचा देते हैं। असम में 267.5 किलोमीटर बॉर्डर में से 201.5 किलोमीटर, मेघालय में 443 किलोमीटर में से 367.1 किलोमीटर और त्रिपुरा में पूरे 856 किलोमीटर बॉर्डर पर तारबंदी हो चुकी है। इस तरह इन्हें भारत का नागरिक बनाने का कार्य शुरू हो जाता है।
कई जगहों की बदल गई है डेमोग्राफी :
ज्यादातर घुसपैठिए मालदा, 24 परगना, मुर्शिदाबाद, दिनेशपुर जैसे क्षेत्रों से आते हैं और मुस्लिम बहुल बस्तियों में बसते हैं। इससे कुछ जगहों पर जनसांख्यिकी यानी कि डेमोग्राफी बदल गई है। मुर्शिदाबाद में 1961 में हिंदू 44.1% थे जो 2011 में 33.2% रह गए है, जबकि मुसलमान 55.9% से 66.3% हो गए है। इसी तरह बंगाल के अलग-अलग क्षेत्रों में डेमोग्राफी पूरी तरह बदल चुकी है। यही वजह है कि देश के कई राज्यों में अब अवैध घुसपैठियों के खिलाफ जोर-शोर से अभियान चल रहे हैं। यूपी में भी योगी आदित्यनाथ की सरकार ने घुसपैठियों को बाहर करने की ठानी है, और कई क्षेत्रों में तेजी से काम भी हो रहा है।
यूपी में क्या कर रही है योगी सरकार?
वहीँ अब उ.प्र. में घुसपैठियों का पता लगाने की कवायद तेज हो गई है। पुलिस टॉर्च लेकर बस्तियों में घूम रही है, हर दरवाजा खटखटा रही है। सूबे के कई जिलों में घुसपैठियों में भगदड़ मची है। गोरखपुर के एक स्थानीय ने बताया कि पिछले 6-7 दिनों में कई झुग्गियां खाली हो गई हैं। वहीं, वाराणसी में पुलिस ने 500 संदिग्धों को चिन्हित किया गया है। गोरखपुर में डिटेंशन सेंटर तैयार है, जहां बेड पर नंबर लगे हैं। उ.प्र. में बांग्लादेशी घुसपैठियों की संख्या करीब 10 लाख बताई जा रही है। माना जा रहा है कि SIR की कार्यवाही पूरी होते ही योगी की फोर्स हर घर पहुंचेगी। बाहर के लोगों के दस्तावेज चेक होंगे, उन्हें वेरिफाई किया जायेगा और जो घुसपैठिए होंगे, उन्हें डिटेंशन सेंटर भेजा जायेगा। जल्द ही कई अवैध प्रवासियों को बाहर करने की प्रक्रिया अपनाई जायेगी।



