डॉक्टर्स डे: जानें कौन थे डॉ. बीसी रॉय, जिनकी याद में 1 जुलाई को हर साल मनाते हैं डॉक्टर्स डे।

देश में बीते 32 साल से हर साल 1 जुलाई को राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस मनाया जाता है। यह दिन ख्यात डॉक्टर Dr BC Roy के सम्मान डॉक्टरों को समर्पित किया गया है। Dr BC Roy का पूरा नाम डॉक्टर बिधान चंद्र रॉय था, जो सिर्फ एक डॉक्टर ही नहीं थे, बल्कि शिक्षाविद और स्वतंत्रता सेनानी भी थी। Dr BC Roy डॉक्टरों की तुलना सेना के जवानों से करते थे। वे कहते थे कि डॉक्टर भी सेना के जवानों जैसे देश की रक्षा करते हैं, वैसे ही डॉक्टर भी देश में इंसानों की रक्षा करते हैं और कई बीमारियों से बचाते हैं।देश में बीते 32 साल से हर साल 1 जुलाई को राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस मनाया जाता है। यह दिन ख्यात डॉक्टर Dr BC Roy के सम्मान डॉक्टरों को समर्पित किया गया है। Dr BC Roy का पूरा नाम डॉक्टर बिधान चंद्र रॉय था, जो सिर्फ एक डॉक्टर ही नहीं थे, बल्कि शिक्षाविद और स्वतंत्रता सेनानी भी थी। Dr BC Roy डॉक्टरों की तुलना सेना के जवानों से करते थे। वे कहते थे कि डॉक्टर भी सेना के जवानों जैसे देश की रक्षा करते हैं, वैसे ही डॉक्टर भी देश में इंसानों की रक्षा करते हैं और कई बीमारियों से बचाते हैं।

भारत में 1 जुलाई को राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस 2023 भव्य रूप से मनाया जाएगा। National Doctors Day पर मानव स्वास्थ्य को बेहतर बनाने की दिशा में काम करने में सभी डॉक्टरों के योगदान को याद किया जाता है।

1 जुलाई को हुआ था बीसी रॉय का जन्म

डॉ. बिधान चंद्र रॉय को सम्मानित करने के लिए 1 जुलाई 1991 को National Doctors Day मनाने की शुरुआत की गई थी। डॉ. बीसी रॉय का जन्म 1 जुलाई 1882 को हुआ था और उनकी मृत्यु भी 1 जुलाई 1962 को ही हुई, जो एक अजीब संयोग है। उन्होंने जीवन भर बीमार लोगों की सेवा की और उनकी जान बचाई। उनके अमूल्य योगदान के लिए ही उन्हें भारत सरकार ने भारत रत्न से भी सम्मानित किया था।

राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस का महत्व

डॉक्टर समाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे अपना जीवन दूसरों की भलाई के लिए समर्पित करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि हर कोई बीमारियों से मुक्त रहे। डॉक्टर बीमारी के रूप में आने वाले संकटों के प्रति भी सदैव सचेत रहते हैं और चिकित्सा विज्ञान के बारे में अधिक जानने की लगातार कोशिश करते हैं, ताकि बीमार लोगों की जान को बचाया जा सके। डॉक्टरों के जीवन में कई बार ऐसे अवसर भी आते हैं, जब उन्हें अपनी खुशियाँ त्याग कर अपना कर्तव्य निभाने के लिए मजबूर होना पड़ता है अन्यथा मरीजों की जान खतरे में पड़ जाती है।