नई दिल्ली : मोदी साहब ने अपने भाषणों में स्पष्ट तौर पर कहा था गुलामी के चिन्हों को मिटाया जायेगा, किसी का भी नाम सभी भाषाओँ में एक ही होता है तो भारत का नाम India क्यूँ? इस मुद्दे पर देश में इंडिया और भारत नाम को लेकर घमासान शुरू हो गया है। इस पूरी बहस की शुरुआत उस समय हुई जब राष्ट्रपति भवन से निमंत्रण पत्र में ‘प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया’ की जगह ‘प्रेसिडेंट ऑफ भारत’ लिखा हुआ था। 9 सितंबर से भारत में होने जा रहे जी-20 समिट के लिए ये निमंत्रण पत्र विदेशी मेहमानों और भारत के कुछ नेताओं और अन्य लोगों को भेजा गया। कल दिन में ये बहस शुरू हुई और शाम आते-आते केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने ये साफ कर दिया की सरकार संसद का स्पेशल सेशन इंडिया नाम बदलने के लिए नहीं बुला रही है। अनुराग ने इस बात को अफवाह बताया। देश में जारी इस बहस के बीच एक सवाल उठ रहा है कि अगर देश का नाम बदला गया तो इसमें खर्च कितना आएगा। क्या आप जानते है, सिर्फ नाम बदलने से क्या खर्च होगा?
नाम बदलने की जरूरत क्यों :
भारत पहला ऐसा देश नहीं है जहां नाम बदले जाने की बात हो रही है। इतिहास में कई बार ऐसा हो चुका है। समय-समय पर इस तरह के बदलाव कई देशों में पहले भी हुए हैं। हर बार इसके पीछे कोई न कोई कारण बताया जाता है। लेकिन हर बदलाव अपने साथ कुछ न कुछ अतिरिक्त खर्च लेकर चलता है। उदाहरण के तौर पर- अगर हम किसी नए जगह पर शिफ्ट होते हैं या घर कि मरम्मत करवाते हैं, तो एक्स्ट्रा खर्च करना ही पड़ता है। एक जानकारी के मुताबिक उत्तर प्रदेश में जब इलाहाबाद का नाम बदला गया था, तब राज्य सरकार को 300 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च आया था। ऐसा ही देश का नाम बदलने पर भी होगा। नाम बदला जायेगा तो सभी संस्थान, वेबसाईट, कागजात और कई अन्य बड़े-बडे़ बदलाव भी करने होंगे और इन सब में मोटा खर्च आएगा।
टोटल खर्च कितना आ सकता है :
अनुमान के मुताबिक, अगर देश का नाम बदला जाता है तो इसमें लगभग 14000 करोड़ रुपये का खर्च आ सकता है। अब सवाल उठता है कि इस आंकड़े का पता कैसे चला, तो बता दें की इस आंकड़े की गणना दक्षिण अफ्रीका के वकील डेरेन ऑलिवियर के सुझाए फॉर्मूला से की गई है। दरअसल, साल 2018 में स्वैजीलैंड का नाम बदलकर इस्वातीनि कर दिया गया था। तब उन्होंने अनुमान लगाया था कि स्वेजीलैंड का नाम इस्वातीनि करने में देश कि सरकार को 60 मिलियन डॉलर का खर्च करना पड़ा था। जब भी ऐसा कुछ कार्य सरकारी अथवा निजी तौर पर भी किया जाता है तो व्यवस्थित करने में खर्च आता ही है।
इतिहास भी जान लें :
अंग्रेज जब हमारे देश में आये तो उन्होंने सिंधु घाटी को इंडस वैली कहा और उसी आधार पर इस देश का नाम इंडिया कर दिया। यह इसलिए भी माना जाता है क्योंकि भारत या हिंदुस्तान कहने में मुश्किल लगता था और इंडिया कहना काफी आसान, तभी से भारत को इंडिया कहा जाने लगा। India अंग्रेजों द्वारा दिया गया नाम है, जिसे गुलाम भारत की निशानी माना जाता है, इसलिये इसका बदलना आवश्यक है।